चंडीगढ़। एक तरफ तो हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एचएसएससी) भले ही क्लर्क की परीक्षा की तैयारियां पूरी होने के दावे कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सच्चाई इससे सर्वथा विपरित नजर आ रही है। 4858 सीट के लिए करीब 15 लाख कैंडिडेट्स मैदान में हैं और 21 से 23 सिंतबर तक चलने वाली परीक्षा की पूछताछ को लेकर हजारों स्टूडेंट्स पंचकूला स्थित एचएसएससी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हालत है कि कमीशन की कार्यशैली ने पीड़ित कैंडिडेट्स को हलकान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये खुलासा ‘आज समाज’ के रियलिटी चेक के दौरान हुआ, जिसमें स्टाफ व कैंडिडेट्स से बातचीत के दौरान कमियों का खुलासा हुआ। दो रिसेप्शन पर बैठने वाले स्टाफ मैंबर के अनुसार हर रोज करीब 1500 से 2000 कैंडिडेट्स अपनी आपत्तियां या शिकायतें लेकर कमीशन में आ रहे हैं। जहां परीक्षा में महज कुछ ही दिन बचे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कैंडिडेट्स की समस्याएं सुनने व दूर करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ तक नहीं लगाया गया। इसके अलावा कैंडिडेट्स ने बताया कि उनको सही तरीके से ट्रीट नहीं किया जाता। 19 सिंतबर को लंच टाइम में एक घंटे के लिए स्टाफ नहीं था तो अतिरिक्त स्टाफ को उनकी जगह लगाना चाहिए था, ताकि दूर-दूर से आए कैंडिडेट्स को दिक्कत न हो, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था। मामले को लेकर कमीशन के चेयरमैन भारत भूषण भारती व सेक्रेटरी ईशा कांबोज से बार-बार संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
दो काउंटर पर 2 हजार तक स्टूडेंट्स रोज आ रहे हैं :बता दें कि कमीशन में दो एग्जाम संबंधी समस्याओं को सुनने के लिए 2 काउंटर बनाए गए हैं, हालांकि एक तो मुख्य काउंटर है, जहां हर तरह की क्वेरीज सुनी व रिसीव की जाती है तो दूसरे पर मुख्य रूप से क्लर्क परीक्षा को लेकर तकनीकी दिक्कतों को डील किया जाता है। पहले काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने बताया कि उसको पास हर रोज करीब 500 कैंडिडेट्स आ रहे हैं तो दूसरे ने बताया कि उसको पास 1200 से 1400 तक पीड़ित कैंडिडेट्स आ रहे हैं।
वहीं जन्मतिथि, रोल नंबर नहीं मिलने, जातिगत व आधार कार्ड संबंधी त्रुटि आ रही हैं। वहां बैठे कर्मचारियों व कैंडिडेट्स ने बताया कि होने वाली परीक्षा को लेकर कैंडिडेट्स के फार्म में जन्मतिथि व आधार कार्ड की सही जानकारी की कमी, जाति गलत लिखने से लेकर रोल नंबर का प्रिंटआउट नहीं निकलने व फीस नहीं भरे जाने आदि समस्याएं हैं।
लैंडलाइन नंबर हमेशा आता है व्यस्त
पीड़ित कैंडिडेट्स ने बताया कि कमीशन द्वारा जो लैंडलाइन हेल्पलाइन दी गई है वो या तो हमेशा बिजी आएगी या फिर कभी लगती ही नहीं। रोहतक के रहने वाले एक पीड़ित शिवकुमार ने बताया कि वो रोल नंबर का प्रिंटआउट नहीं निकलने के चलते कई दिन से हेल्पलाइन नंबर ट्राई कर रहे हैं, लेकिन नंबर नहीं मिलने के चलते एग्जाम से पहले ही गोवा से उनको पंचकूला आना पड़ा। अन्य कई कैंडिडेट्स ने भी कहा कि एग्जाम से पहले उनकी क्वेरीज को लेकर कमीशन को ज्यादा कस्टमर केयर नंबर जारी करने चाहिए थे।
शिकायत के लिए डायरी नंबर तक नहीं दिया जाता: कैंडिडेट्स ने बताया कि शिकायत लेकर आते हैं, लेकिन उनको बदले में डायरी नंबर तक नहीं दिया जाता और कहा जाता है कि आप जाइए आपकी शिकायत संबंधित विभाग या अधिकारी के पास पहुंच जाएगी, जबकि सच्चाई यह है कि अगर इस बीच कहीं एप्लीकेशन मिसप्लेस हो गर्इं या आगे नहीं जा पार्इं तो किसकी जिम्मेदारी होगी। रिसेप्शन पर बैठे कर्मचारी ने बताया कि यहां ऐसे ही प्रक्रिया चलती है और डायरी नंबर नहीं दिया जाता।
हर जिले से आ रहे हैं पीड़ित
रियलिटी चेक में खुलासा हुआ कि 200 से 300 किलोमीटर तक से कैंडिडेट्स अपनी समस्याएं लेकर आ रहे हैं। फतेहाबाद के प्रदीप ने बताया कि कॉल तो रिसीव होती नहीं है, न ही उनकी समस्या सही तरीके से सुनी जाती है। वहीं रोहतक से आए कपिल की पीड़ा भी जुदा नहीं था। इनके अलावा भिवानी, एनसीआर जिलों, हिसार, सिरसा, चरखी दादरी व मेवात से भी कैंडिडेट्स कमीशन आ रहे हैं।
करीब 15 लाख कैंडिडेट ने आवेदन किया व ज्यादा क्वेरीज के चलते हेल्पलाइन बिजी आती है, कमीशन के कर्मचारी परीक्षा के आयोजन संबंधी अन्य कामों में लगे हैं। ऐसे में कैंडिडेट्स को थोड़ी बहुत दिक्कत आती है। फिर भी अपनी तरफ से हम दिक्कत दूर करने का हरसंभव प्रयास करते हैं।-भारत भूषण भारती, चेयरमैन एचएसएससी।