सिब्बल की गुगली से कैसे बचेंगे राहुल

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डिनर डिप्लोमेसी कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाली

अजीत मैंदोला, नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री और जाने माने वकील कपिल सिब्बल की डिनर डिप्लोमेसी ने एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।सूत्रों की माने तो डिनर  का कुल निष्कर्ष यही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गांधी परिवार आज के हालात में लड़ाई लड़ने में सक्षम नही है।उन्हें अब दूसरे के लिये जगह छोड़नी चाहिये।हालांकि गांधी परिवार पर सीधा हमला नहीं बोला गया ,लेकिनअधिकांश का मत यही था कि राहुल गांधी और अभी की उनकी मौजूदा  टीम के रहते 2024 की लड़ाई नही जीती जा सकती।सूत्रों की माने तो राहुल गांधी ही बैठक के असल केंद्र बिंदु थे।उनकी खामियों को ही उजागर किया गया।सिब्बल ने यह बैठक ऐसे समय पर बुलाई जब राहुल गांधी मानसून सत्र में विपक्षी की अगुवाई कर मोदी सरकार को घेरने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।वह जताने की कोशिश कर रहे विपक्षी की अगुवाई करने में वह पूरी तरह से सक्षम हैं।सिब्बल ने अपने जन्म दिन के दूसरे दिन डिनर ऐसे दिन रखा जब राहुल श्रीनगर दौरे पर जा चुके थे।प्रियंका विदेश में हैं।सोनिया गांधी एक दिन पहले संसद भवन गई थी।संभवतः सिब्बल ने अपने जन्मदिन की पार्टी में गांधी परिवार को जानबूझकर नही बुलाया।
बैठक में बीएसपी को छोड़ देश की सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ कांग्रेस में अंसन्तुष्ठ समझे जाने वाले ग्रुप 23 के अधिकांश नेताओं की मौजूदगी कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व के लिये चिंता बढ़ाने वाला है।सूत्रों का कहना है बैठक में अधिकांश नेता इस बात पर सहमत थे कि उत्तर प्रदेश मे बीजेपी को रोकने के लिये  सभी विपक्षी दलों को समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का समर्थन करना चाहिये।यहां तक बात हुई कि कांग्रेस सपा का समर्थन करती है तो ठीक है वैसे भी उसके समर्थन से कोई लाभ मिलने वाला है नही। बैठक में पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम जैसे नेता भी आज के हालात से चिंतित थे ।उनका कहना था कि अगर रणनीति ठीक से बनाई जाए तो मोदी को 2024 में रोका जा सकता है।उनका कहना था कि 200 ऐसी सीटे हैं जहां पर कांग्रेस की बीजेपी से सीधी टक्कर में।200 ऐसी है जहां पर विपक्ष एक हो जाये तो बीजेपी को आसानी से रोका जा सकता है।वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा जो अपने सामाजिक कार्यों के चलते चर्चाओं में रहते हैं उनका भी इसी बात पर जोर था 2024 के लिये अभी सब कुछ तय हो।डिनर में यूपीए के सभी घटक दलों के साथ राजग के करीबी माने जाने वाले बीजेडी,जगन मोहन रेड्डी की वाई एस आर पार्टी के नेता,टीआरएस आदि का पहुंचना भी चोकाने वाला था।बाकी सपा,टीएमसी,कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता भी पहुंचे।हैरानी की बात यह रही कि गांधी परिवार का किसी ने बचाव नही किया। लालू यादव,शरद पंवार ,गुलाम नवी आजाद,मनीष तिवारी,मुकुल वासनिक,सपा के अखिलेश यादव,शिव सेना के संजय राउत,टीएमसी के डेरेक ओब्रायन,नेशनल कांन्फ्रेंस के उमर अबदुल्ला,आरएलडी के जयंत चौधरी आदि समेत 45 नेताओ ने सिब्बल के भोज का आनंद लिया।अधिकांश नेताओं का मत यही था गांधी परिवार अब विपक्ष की राजनीति में व्यवधान डाल रहा है।सिब्बल समेत कांग्रेस के अंसन्तुष्ठ नेता कई बार पार्टी संगठन में बदलाव की बात कर चुके है।
 सिब्बल कांग्रेस के उन नेताओं में रहे हैं जिन्होंने मोदी पर हमले करने कभी कोई मौका नही छोड़ा।2004 से लेकर मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक सिब्बल ने कानून के जानकार होने के चलते कांग्रेस की तरफ से खूब हमले किये।सिब्बल की पीड़ा यह भी है कि उन्होंने पार्टी के लिये कई कानूनी लड़ाई लड़ी,लेकिन उनकी कोई सुनवाई नही हुई।23 अंसन्तुष्ठ नेताओं ने पिछले साल पत्र लिख एक तरह से आलाकमान को चेताया था।राहुल गांधी ने भी उस पत्र को आधार बना अपने समर्थक नेताओं से इन नेताओं पर सवाल उठवाये।राहुल ने अपने मुख्यमन्त्रियों और संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत कर एक तरह से ग्रुप 23 को ज्यादा भाव नही दिया।बिहार,असम,केरल ,बंगाल समेत आधा दर्जन राज्यो की हार ने फिर राहुल को परेशानी में ला दिया।राहुल की राज्यों की राजनीति को दरकिनार करने की नीति उन पर अब भारी पड़ने लगी।कांग्रेस राज्यो से गायब हो गई।केंद्रीय संगठन का मामला हो या राज्यों का गांधी परिवार लटकाने की नीति पर चल रहा है।न राज्यो के फेसले हो रहे हैं न केन्द्र के।पार्टी में अफरातफरी का माहौल दिख रहा है।बंगाल की जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारे हालातों को भांप नए मोर्चे की बात कर गांधी परिवार की परेशानी बढ़ा दी।ममता ने  अधिकांश विपक्षी पार्टियों के नेताओं से चर्चा कर दिल्ली की राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी।राहुल ने स्थिति भांपते हुये मानसून सत्र में अपने को सक्रिय कर दिखाने की कोशिश की कि वह अब विपक्ष की अगुवाई कर फ्रंट फुट पर खेलेंगे।लेकिंन सिब्बल की डिनर डिप्लोमेसी ने राहुल के नेतृत्व पर फिर सवाल उठा दिये।गांधी परिवार को एक तरह से डिनर के माध्य्म से बड़ी चुनोती दी गई है।