आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam: आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं सिर्फ श्याम का ही नाम नहीं, वह पूरा नाम खाटू वाले श्याम बता रहे हैं। सीकर से करीब 20 किलोमीटर दूर गांव खाटू जो फाल्गुन महीने में दुल्हनों की तरह सजा है और भक्त अपने भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं। राजस्थान के सीकर जिले में हारे का सहारा बता रहे हैं और खुद को धन्य कि बाबा के दर्शन कर लिए तैयारी कर रहे हैं।
महाभारत से जुड़ा है इतिहास How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
कौरव-पांडव में राजा-महाराजा अपना पक्ष चुनते हुए सेना समेत युद्ध में शामिल होने पहुंच रहे थे। युद्ध की बात नवयुवक के कानों तक भी पहुंची तो मां से युद्ध में जाने की आज्ञा मांगी। मां ने अनुमति दी और कहा, जा बेटा हारे का सहारा बनना। वह मां की बात से नहीं डिगता था, क्योंकि वह उसकी गुरु भी थीं. उसने अपने नीले घोड़े पर सवार होने से पहले मां को वचन दिया, जैसा आपने कहा ऐसा ही होगा। हारे का ही सहारा बनूंगा। यह नवयुवक थे महाबली घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक और उनकी महान मां थीं मौरवी।
क्यों लिया हारे के सहारे का वचन How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyamदरअसल, कौरव व पांडव के युद्ध में जो भी राज्य व राजा थे वह सभी युद्ध में भाग लेने पहुंच चुके थे। राजाओं के साथ उनकी सेना भी उनके साथ युद्ध मे शामिल थीं। इस तरह दोनों दलों की ओर 7-7 अक्षौहिणी सेना हो चुकी थीं, अभी तक द्वारिका ने युद्ध में भाग नहीं लिया था।
कौरव-पांडव जब दोनों ही द्वारिका से सहायता मांगने पहुंचे तो परिस्थिति वश कृष्ण पांडव की ओर निहत्थे शामिल हुए और अपनी चतुरंगिणी सेना कौरवों को दे दीं। इस तरह कौरवों के पक्ष में 11 अक्षौहिणी सेना हो गई।
ऐसे मिला श्याम बाबा का नाम How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
बर्बरीक युद्ध क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे, तो रास्ते में एक ब्राह्मण ने उन्हें रोक लिया। ब्राह्मण ने योद्धा का परिचय पूछा तो बर्बरीक ने बताया कि मैं पांडव कुलभूषण बलशाली भीम और हिडिम्बा का पोता और उनके पुत्र घटोत्कच का पुत्र हूं। मेरी मां मौरवी हैं जो खुद एक योद्धा हैं और मेरी गुरु भी हैं। मैं इस समय महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने जा रहा हूं। मेरी मां ने मुझे युद्धनीति में प्रशिक्षित किया है और देवताओं से आशीर्वाद भी दिलवाया है। अब मैं उनके आशीष से युद्ध में भाग लेने जा रहा हूं।
बर्बरीक के पास थी दिव्य शक्तियां How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
ब्राह्मण ने पूछा, योद्धा तुम युद्ध में भाग लेने अकेले जा रहे हो। तुम्हारी सेना कहां है? तुम्हारे अस्त्र-शस्त्र भी अधिक नहीं दिख रहे। यह क्या तुणीर में केवल तीन बाण और बस एक धनुष, ब्राह्मण ने मजाक उड़ाते हुए कहा-योद्धा कुरुक्षेत्र में ऐसा युद्ध होगा, जो फिर कभी नहीं होगा। वहां तुम कैसे पराक्रम दिखाओगे, मेरी मानो लौट जाओ व जीवन का आनंद लो। बर्बरीक ने नम्रता से कहा-मेरी मां के आशीष का अपमान न कीजिए ब्राह्मण देवता। उनके प्रताप से मैं हारे का सहारा बनूंगा।
योद्धा बर्बरीक ने दिखाया पराक्रम How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
महाभारत युद्ध के लिए तो मेरा एक ही बाण ही काफी है, तीनों बाण चले तो सृष्टि का ही नाश हो जाएगा। यह बाण खुद महादेव ने प्रसन्न होकर दिए हैं। इनकी विशेषता है कि एक बार में लक्ष्य करते ही यह शत्रु समूह का समूल नाश कर देता है। चाहे वह कहीं भी जा छिपा हो। ब्राह्मण ने कहा-तुम तो बातें करते हो तो प्रमाण दिखाओ। पीपल के पेड़ के पत्तों को क्या एक ही बाण से वेध सकते हो? बर्बरीक ने कहा-मैं बातें नहीं करता, प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत, लीजिए आप संतुष्टि कर लीजिए।
…और आश्चर्य में पड़ गए ब्राह्मण How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
बर्बरीक ने बाण संधान किया तो ऐसा लगा कि लाखों बाण प्रकट होकर पीपल के पेड़ के पत्तों को बेधने लगे हों। यह देख ब्राह्मण ने एक पत्ते को चुपके से पैर के नीचे छिपा लिया। सारे पत्तों को बेध लेने के बाद बाण ब्राह्मण के पैरों की ओर बढ़ा और उसके पंजों को बेधने लगा। बर्बरीक चीखा-मेरे लक्ष्य से पैर हटा लीजिए ब्राह्मण देव, नहीं तो यह आपके चरण बेध देगा। ब्राह्मण ने पैर हटा लिया और बाण ने आखिरी पीपल के पत्ते को भी बेध दिया।
ब्राह्मण ने मांगा शीश दान यह देख ब्राह्मण वाह-वाह कर उठे। उन्होंने बर्बरीक की प्रशंसा की और कहा कि तुम जितने वीर हो, उतने दानी भी हो। बर्बरीक ने कहा कि जो योद्धा दानी नहीं, वह योद्धा भी नहीं। तब ब्राह्मण ने उनसे शीशदान मांग लिया। उसने कहा-वचन देने के बाद पीछे तो नहीं हटूंगा, लेकिन आप वास्तविक स्वरूप दिखाइए, क्योंकि कोई ब्राह्मण ऐसा दान नहीं मांग सकता।
तब श्रीकृष्ण ने दिए दर्शन, दिए कई वरदान How To Become A Loser’s Sahara Khatu Shyam
बर्बरीक की प्रार्थना पर ब्राह्मण वेशधारी श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और उसके दान, युद्ध कौशल की रुंधे कंठ से प्रशंसा की। बर्बरीक ने कहा-अब तो मैं वचन दे चुका, लेकिन मैं महाभारत का युद्ध भी देखना चाहता था। यह इच्छा न पूरी होने का दुख है और आपने मेरा शीश क्यों मांग लिया?
इस तरह तो मैं अपने पिता-पूर्वजों के किसी काम भी नहीं आ सका। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि तुम सृष्टि के अंत तक अमर रहोगे। तुम्हारे बाण से बिंधा मेरा यह पैर ही अब मृत्यु का कारण बनेगा जो मेरा प्रायश्चित भी होगा। तुम अब मेरे ही नाम से खाटू श्याम कहलाओगे इसलिए बाबा हारे का सहारा नाम से संसार में पूजे जाते हैं।
Also Read: जानिए शुक्रवार व्रत की महिमा, माता वैभव लक्ष्मी व संतोषी माता के व्रत करने से होगी हर मनोकामना पूरी