एक क्षण के लिए भी हमें अस्थिरता एचं विक्षेपता की दुखत स्थिति के अधीन नहीं होने देना है
गतांक से आगे –
एतदर्थ सोचना होगा, गहराई में जाकर विचार करना होगा कि मन सर्वथा और सर्वदा कैसे एकाग्रता की स्थिति में रह सके। मन सतत एकाग्र बना रहे-क्या यह संभव भी हैं? गीता श्रोता भक्तवर अर्जुन भगवान् श्रीकृष्ण के समक्ष एक ही स्वर में मन को चंचल, प्रमथनशील, बलवान, दृढ़ और हठी कहकर इसे वायु के समान वशीकृत करना अत्यंत दुष्कर बताते हुए मन के सामने अपनी असमर्थता प्रकट करते हैं। ऐसी स्थति में इस दुर्दान्त मन को सदा सर्वदा के लिए संकल्प रहित कर देना,
प्रत्येक स्थिति में इसे स्थिर एवं शांत बनाए रखना क्या कुछ टेढ़ी खीर नहीं है? ऐसा हो सकता है। मन को सतत एकाग्र बनाए रखना कुछ कठिन अवश्य है परंतु इसे कभी असंभव नहीं कहा जा सकता। यदि कुछ कठिनता है तो केवल अपने मानसिक दौ्बल्य के परिणाम स्वरूप ही, विचारों की कमी के कारण ही। ऐसा दृढ़ निश्चय कर लेने पर कि प्रत्येक मूल्य पर मन एकाग्र बनाए रखना हैं, एक क्षण के लिए भी हमें अस्थिरता एचं विक्षेपता की दुखत स्थिति के अधीन नहीं होने देना है-इस ध्येय से सराहनीय दुखद स्थिति के सफलता प्राप्त की जा सकती है।
हीनता से वास्तविक सुख नहीं मिलता!
ऐसा क्यों नहीं मन में बिठा लेते कि जो क्षण व्यर्थ के चिंतन निरर्थक सोच विचार एवं निराधार अस्थिरता में व्यतीत हुआ; वह क्षण मृत्यु से भी अधिक शोचनीय क्षण है। अनुचित एवं विवेक रहित विचारों को मन में स्थान देकर अपने मन को अब और हीनता की स्थिति में मत जाने दो। यह हीनता आपको कभी भी वास्तविक सुख का रसास्वादन नहीं करने देगी जिस क्षण आपने यह सोचा कि मन को वश में करना, इसे एकाग्र बनाए रखना असंभव अथवा अत्यंत कठिन है और ऐसा सोचकर आप तनिक भी निराशा की स्थिति में आ गए, उसी क्षण आपकी इस डांवाडोल दुविधामयी स्थिति का मन एक बार फिर लाभ उठाएगा और अपनी चाल से पुन: आपको पराजित करता हुआ आप पर भारी हो जाएगा। यह आपकी इस निराशा को आगे बढ़ाता हु
आ आपको अस्थिरता का पूवार्पेक्षा अधिक शिकार बना देगा। जीवन को प्रत्येक परिस्थिति में शांत बनाए रखने हेतु मन की एकाग्रता अनिवार्य एवं अपरिहार्य है और यह पूर्णतया संभव है, इसको शक्यता पर कभी भी मन में संशय नहीं आना चाहिए बल्कि विश्वास, सुदृढ़ विश्वास, श्रद्धा और अटल-अटूट श्रद्धा के माध्यम सं शवने को उत्साह की स्थिति में रखते हुए मन कील पुर हावी होने का प्रयास करते जाना चाहिए। ऊ ते रहने से सफलता अवश्यंभावी है।