आखिर शासन-प्रशासन की लापरवाही की वजह से मानव जीवन की अप्राकृतिक हानि कब तक होती रहेगी। जहरीली शराब से मरने वालों की खबरों से हम हर रोज रूबरु होते हैं इसलिए यह अब ज्यादा अटपटी नही लगती। किसी न किसी राज्य से ऐसी खबरों का आना लगा ही रहता है। इस बार मामला पंजाब का है जहां अवैध शराब से करीब सौ लोग मारे जा चुके।
अकेले तरन तारन जिले में ही करीब पचास लोगों की की मौत हो गई है। इसके अलावा अमृतसर व गुरदासपुर में कई जाने जा चुकी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में भी हर बार जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए एसआईटी गठित कर दी गई जो पूरे मामले की जांच करेगी। पंजाब सरकार दावा कर रही है कि जहरीली शराब बनाने और सप्लाई करने वाले दोषियों को जल्द ही गिरफ्त में ले लिया जाएगा। लेकिन ऐसे दावे और वादे तो हर बार होते हैं।
क्या यह हमारे सिस्टम की आदत बन गई है कि हम हर बार घटना के बाद ही जागे। यह बात सबको भलिभांति पता है कि अवैध शराब का धंधा बिना शासन-प्रशासन की मिलीभगत से नही चलता लेकिन फिर ड्रामा ऐसे दिखाया जाता है कि जैसे उनको खबर ही नही होती। पूरे देश में यह धंधा फल-फूल रहा है लेकिन हर बार सिर्फ खाना पूर्ति होती है। आश्चर्य तो तब ज्यादा हुआ था जब लॉकडाउन के दौरान कोई भी घर से नही निकल रहा था लेकिन तब भी ऐसी खबरें आई थी।
लॉकडाउन के बावजूद भी शराब मिल रही थी। क्या इस बात को लेकर कोई संदेह हो रहा है कि यह प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव था। बहुत लोगों के मन में यह भी प्रश्न आता है कि अवैध शराब क्या है और लोग शराब की दुकान से शराब न लेकर उन लोगों से क्यों लेते हैं जो चोरी से बेचते हैं। दरअसल मामला यह है कि यह लोग दुकानों से सस्ती शराब बेचते हैं चूंकि यह एक बोतल शराब को एक बाल्टी में डालकर उसके बाद उसमें टैन नंबर नामक गोली डालकर उसमें करीब दो लीटर पानी डाल देते हैं। उसके बाद उसके अलग-अलग बोतल में डाल देते हैं। जिससे वह एक बोतल से वह तीन बोतलें बना देते हैं। पुलिस की गिरफ्त एक माफिया ने बताया कि टैन नंबर की गोली में बहुत नशा होता है। इसका प्रयोग अधिकतर वो लोग करते जो मंहगा नशा नही कर पाते और इस गोली को यदि शराब में मिला दिया जाता है तो शराब में नशे की मात्रा बढ़ जाती है।जिससे एक बोतल में मिलाकर ज्यादा शराब बन जाती है।
यह गोली भी आसानी से उपल्बध नही हो पाती। जैसा कि माफिया जानते हैं कि जो लोग उनसे शराब लेने आते हैं वो निश्चित तौर पर सस्ती शराब पीते हैं। इसलिए ऐसे लोग किसी भी स्थिति में शराब जरुर लेते हैं और वह बोतल की सील की भी परवाह नही करते। इसलिए ऐसे लोगों को फायदा माफिया बहुत अच्छे तरीके से उठा रहे हैं। लेकिन कभी-कभी शराब में अलग से मिलाए गए नशीले पदार्थ को अधिक मिलाने से शराब में ऐसी चीज बढ़ जाती है जिससे शराब जहरीली हो जाती है और पीने वाले को सांस नही आता और वह तुंरत प्रभाव के साथ मर जाता है। लेकिन सवाल यह है कि भंयकर सख्ती के बाद भी लोगों की जान से खेलने की इजाजत कौन देता है।
शायद बेचने वाले और खरीदने वालों को कतई यह अंदाजा नही होता कि उनकी यह गलती शराब पीने वाले या उनके परिवार के अलावा कई लोगों पर एक साथ भारी पड़ती है।यदि पूरे देश में ऐसे मरने वालों के आंकडे पर गौर करें तो स्थिथि भयावह है। हर वर्ष हजारों की तादाद में कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हर रोज न जाने कितने बच्चों के सर से बाप का साया उठ रहा है और कितनी औरतें और विधवा हो रही है।
कई बुजुर्ग अपने जवान बच्चों को अपने सामने मरता देख रहे हैं। इस घटना की सबसे रोचक बात यह है कि अवैध शराब बेचने वाले वर्षों से अपने इलाकों में यह काम कर रहे हैं। जब भी कोई घटना होती है तब पुलिस उनको उठा लेती है उसके बाद वह किसी भी स्थिति में छूट जाते हैं व फिर वही काम करते हैं।
संबंधित इलाके की पुलिस को सब कुछ पता होता है लेकिन उसके बावजूद भी कुछ नही होता। दरअसल पूरा चैन सिस्टम इस तरह बना हुआ है कि अवैध शराब बेचने वालों पर यदि कोई ईमानदार पुलिसकर्मी कार्रवाई करना भी चाहे तो वह नही कर पाता चूंकि ऐसे लोगों विभाग को ऊपर तक खरीद लेते हैं। ऐसी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन हम कुछ नही कर पा रहे। पंजाब में हालात यह है कि यहां नशा लगभग हर इंसान की जिंदगी का हिस्सा बन गया।
शराब के अलावा चरस,गांजा व अफीम के साथ हर तरह का सस्ता व मंहगा नशा आसानी से उपल्बध है। यहां सरकार को बेहद गंभीरता के साथ बिहार सरकार की तरह साहसिक फैसले लेने की जरुरत है ।बिहार में पूर्ण रुप से शराब पर ब्रिक्री प्रतिबंध है लेकिन कुछ राज्य में तो अवैध शराब बिकनी तक भी नही रुक रही। इस मामलें में शासन-प्रशासन को मिलकर काम करने की जरुरत है जिससे मानव जीवन रक्षित व सुरक्षित हो जाए।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)
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