ईश्वर के निकट रहने के लिए कितना जरूरी है मंत्र जाप

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Swami Chidanand Saraswati
Swami Chidanand Saraswati

स्वामी चिदानन्द सरस्वती
मंत्र और जाप एकाग्रता बढ़ाने में हमारी सहायता करते हैं। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो संवेदक आनंद और उत्तेजना से पूरी तरह परिपूर्ण हुई है। हमारा जीवन हमारे आॅफिस के काम,घर के काम, दैनिक उठापटक के आसपास ही घूमता है।  इसलिए अपने मस्तिष्क को रोकना। उसे कुछ भी सोचने से बाधित करना अत्यंत मुश्किल काम है। मानव मस्तिष्क निरंतर कार्य करता है।  वह हमेशा किसी ना किसी कारणवश व्याकुल रहता है। एकाग्रता के अंतर्गत एक विषय और एक उद्देश्य होता है। हम विषय हैं, जिसका उद्देश्य मंत्र जाप पर अपना ध्यान एकत्रित करना होता है। परंतु जब हम ध्यान करने बैठते हैं तब विषय और उद्देश्य एक हो जाते हैं।

ध्यान में बैठा व्यक्ति मंत्रजाप नहीं करता बल्कि वह उसम मंत्र में ही समाहित हो जाता है। ध्यान के अंतर्गत हर सीमा, हर बाधा, हर दूरी, हर अलगाव दूर होता है .. ब्रह्मांड अदृश्य होने लगता है। जब हम ईश्वर के साथ वह नजदीकी, वह मजबूत रिश्ता बना लेते हैं तब जाप के जरिए उन्हें याद करना भी आवश्यक नहीं रह जाता। कल्पना कीजिए। आप किसी को पूरे दिल से प्रेम करते हैं तो उन्हें याद करने के लिए आपको माला लेकर जाप करने की जरूरत नहीं होती। उनका हर रूप आपके मस्तिष्क में कैद होता है। आपको बस आंख बंद कर, उन्हें याद करना होता है। आपका हृदय तो उन्हें हमेशा अपने पास असहेजकर रखता ही है। इसी तर्ज पर जब हम ईश्वर के प्रति अपने गहरे प्रेम और विश्वास को विकसित कर लेते हैं तब हमें उनसे संपर्क साधने के लिए जाप करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। हम हर समय उनके साथ संपर्क में रहते हैं। हमारा जीवन ही हमारा जाप बन जाता है।