भारत किस तरह बने विश्‍वगुरु, इस पर हुआ मंथन

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How Did India Become A Vishwaguru
How Did India Become A Vishwaguru

अनुरेखा लांबरा, समालखा – पानीपत:

इंस्‍टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलोजी (पाइट) में शिक्षकों को सम्‍मानित किया गया। सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों में भी शिक्षकों ने उत्‍साह से भाग लिया। पाइट के सचिव सुरेश तायल, वाइस चेयरमैन राकेश तायल, बोर्ड सदस्‍य शुभम तायल मुख्‍य अतिथि रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्‍वलन के साथ हुआ। एआइसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार वरिष्‍ठ शिक्षकों के लेक्‍चर का भी आयोजन कराया गया। शिक्षकों को प्रेरित किया कि किस तरह वे राष्‍ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

किस तरह बना भारत विश्‍वगुरु

सुरेश तायल ने कहा कि बच्‍चों के संपूर्ण विकास में शिक्षकों की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक अगर ठान ले तो छात्र सफलता के आसमान नाप सकता है। राकेश तायल ने कहा कि शिक्षकों के बिना विकास की कल्‍पना नहीं की जा सकती। शिक्षकों को क्‍लास में ही बच्‍चों की क्षमता का आकलन कर लेना चाहिए। उसी अनुसार उसे आगे बढ़ाना चाहिए। एमबीए विभाग के अध्‍यक्ष डॉ.अखिलेश मिश्रा ने नालंदा से लेकर तक्षशीला गुरुकुल का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत विश्‍वगुरु था, क्‍योंकि यहां शिक्षा की संस्‍कृति उच्‍च थी। आज भी भारत विश्‍वगुरु बन सकता है। उसके लिए शिक्षकों को दोबारा उसी तरह की भूमिका में आना होगा। डीन डॉ.जेएस सैनी ने कहा कि जब हम किसी काम में अपना सौ फीसद देते हैं तो वो दिन में भी हमारा बेहद अच्‍छा जाता है। हमें अलग से संतुष्टि मिलती है।

शिक्षकों ने अलग-अलग गेम्‍स में लिया भाग

इसे जीवन में अपनाना चाहिए। डीन डॉ.बीबी शर्मा, एप्‍लाइड साइंस विभाग से प्रोफेसर डॉ.विनय खत्री, एमबीए विभाग से जयती महाजन ने भी विचार व्‍यक्‍त किए। तरुण मिगलानी, राधिका, डॉ.निशा व सोनू ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर शिक्षकों ने अलग-अलग गेम्‍स में भाग लिया। कविताएं सुनाईं, गीत गुनगुनाए। विजेताओं को सम्‍मानित किया गया। राजकीय स्‍कूलों के श्रेष्‍ठ 22 शिक्षकों का मंच से सम्‍मान किया गया।

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