***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-26/04/2022,मंगलवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृश्चिक
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। थकान व कमजोरी रह सकती है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। दूसरों से अधिक अपेक्षा न करें। बेवजह चिड़चिड़ापन रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। कार्य में मन नहीं लगेगा।
तिथि ————एकादशी 24:47:23 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——- शतभिषा 16:55:12
योग————- ब्रह्म 19:03:54
करण————-+बव 13:09:18
करण———- बालव 24:47:23
वार——————– मंगलवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि——————- मेष
रितु————————-वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————— नल
संवत्सर (उत्तर)—————- राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944
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वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:45:42
सूर्यास्त—————- 18:48:41
दिन काल————–13:02:59
रात्री काल————- 10:56:07
चंद्रास्त—————- 14:42:39
चंद्रोदय—————- 27:48:12
लग्न—- मेष 11°36′ , 11°36′
सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र—————- शतभिषा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
??? पद, चरण. ???
सी—- शतभिषा 10:56:58
सू—- शतभिषा 16:55:12
से—- पूर्वाभाद्रपदा 22:55:00
सो—- पूर्वाभाद्रपदा 28:56:22
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मीन 11:12 अश्विनी , 4 ता
चन्द्र =कुम्भ 13°23 , शतभिषा, 3 सी
बुध =मेष 01 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=कुम्भ 28°05, पू o भा o ‘ 3 दा
मंगल=कुम्भ 14°30 ‘ शतभिषा’ 3 सी
गुरु=मीन 02°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°20 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 15:33 – 17:11 अशुभ
यम घंटा 09:01 – 10:39 अशुभ
गुली काल 12:17 – 13:55 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:22 – 09:15 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:11 – 24:04* अशुभ
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*** पंचक अहोरात्र अशुभ ***
चोघडिया, दिन
रोग 05:46 – 07:24 अशुभ
उद्वेग 07:24 – 09:01 अशुभ
चर 09:01 – 10:39 शुभ
लाभ 10:39 – 12:17 शुभ
अमृत 12:17 – 13:55 शुभ
काल 13:55 – 15:33 अशुभ
शुभ 15:33 – 17:11 शुभ
रोग 17:11 – 18:49 अशुभ
चोघडिया, रात
काल 18:49 – 20:11 अशुभ
लाभ 20:11 – 21:33 शुभ
उद्वेग 21:33 – 22:55 अशुभ
शुभ 22:55 – 24:17* शुभ
अमृत 24:17* – 25:39* शुभ
चर 25:39* – 27:01* शुभ
रोग 27:01* – 28:23* अशुभ
काल 28:23* – 29:45* अशुभ
मंदिरों के करें दर्शन से मिलता है शांति और सुकून Get Peace And Relaxation
होरा, दिन
मंगल 05:46 – 06:51
सूर्य 06:51 – 07:56
शुक्र 07:56 – 09:01
बुध 09:01 – 10:07
चन्द्र 10:07 – 11:12
शनि 11:12 – 12:17
बृहस्पति 12:17 – 13:22
मंगल 13:22 – 14:28
सूर्य 14:28 – 15:33
शुक्र 15:33 – 16:38
बुध 16:38 – 17:43
चन्द्र 17:43 – 18:49
होरा, रात
शनि 18:49 – 19:43
बृहस्पति 19:43 – 20:38
मंगल 20:38 – 21:33
सूर्य 21:33 – 22:27
शुक्र 22:27 – 23:22
बुध 23:22 – 24:17
चन्द्र 24:17* – 25:11
शनि 25:11* – 26:06
बृहस्पति 26:06* – 27:01
मंगल 27:01* – 27:55
सूर्य 27:55* – 28:50
शुक्र 28:50* – 29:45
अक्षय तृतीया: शुभ मुहूर्त और शुभ कार्य Good Luck And Good Work
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 04:16 से 06:05 तक
वृषभ > 06:05 से 07:58 तक
मिथुन > 07:58 से 10:11 तक
कर्क > 10:11 से 12:28 तक
सिंह > 12:28 से 14:40 तक
कन्या > 14:40 से 06:52 तक
तुला > 06:52 से 07:07 तक
वृश्चिक > 07:07 से 09:23 तक
धनु > 09:23 से 23:24 तक
मकर > 23:24 से 01:14 तक
कुम्भ > 01:14 से 02:48 तक
मीन > 02:48 से 04:16 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन Hanuman Ji With Shani Dev
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
जाने श्री दाऊजी मंदिर का इतिहास Know History Of Shri Dauji Temple
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 11 + 3 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
10 Largest Hanuman Statues भारत में यहां है 10 सबसे विशालकाय बजरंगबली की प्रतिमाएं
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
* वरुथिनी एकादशी व्रत (स्मार्त)
* श्री वल्लभाचार्य जयन्ती
* कुबंर वीरप्रतापसिंह बलिदान दिवस
शुभ विचार
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ।
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ।।
।। चा o नी o।।
जिसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शास्त्र क्या भलाई करेंगे. एक अँधा आदमी आयने का क्या करेगा.
सुभाषितानि
गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15
न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः ।,
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥,
जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम (‘परम धाम’ का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।,) है॥,6॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors