International Gita Mahotsav: पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ जिसमें कारण और निवारण दोनों बताए गए : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद

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International Gita Mahotsav: पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ जिसमें कारण और निवारण दोनों बताए गए : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद
International Gita Mahotsav: पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ जिसमें कारण और निवारण दोनों बताए गए : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद

मंच से उठी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की आवाज, विश्व भर के हिंदुओं से इकट्ठा होने का आह्वान
International Gita Mahotsav (आज समाज) कुरुक्षेत्र : श्री कृष्ण कृपा जीओ परिवार द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता सत्संग में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें समस्या का कारण और निवारण दोनों बताए गए है। गीता भगवान कृष्ण के मुख से निकली पवित्र वाणी है। आज से पांच हजार एक सौ 61 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन को निमित बनाकर समस्त विश्व के लिए गीता का ज्ञान दिया। गीता का उपदेश मानव जीवन के लिए सबसे अनुपम उपहार है। इस उपहार का सदुपयोग करना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने विश्व को यह उपहार देने के लिए अर्जुन का चयन किया। उन्होंने कहा कि गीता का पहला श्लोक उस पात्र धृतराष्ट्र से प्रारंभ होता है, जिसकी अंदर और बाहर की दोनों दृष्टियां शून्य है। वह विवेकहीन था और मोहग्रस्त हो गया था। मोह की संर्कीणता के वशीभूत होकर धृतराष्ट्र ने अपने भाई के पुत्रों को उनका हिस्सा देने से इंकार कर दिया। गीता में बताया गया है कि महाभारत के युद्ध के पीछे पारिवारिक कलह थी।

दिव्य गीता सत्संग में मंचासीन स्वामी निबंकाचार्य, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी नवलगिरी, स्वामी अगीतानंद, स्वामी मारूतिनंदन वागेश, स्वामी हरिओम परिजावक, स्वामी ज्ञानेश्वर सहित अनेक प्रमुख संतों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा करते हुए विश्व भर के हिंदुओं से इकट्ठठे होने का आह्वान किया।

अच्छाई जहां से भी मिले ले लेनी चाहिए

गीता में हर समस्या का पहले कारण बताया गया और फिर उसका निवारण किया गया। रामायण और महाभारत दोनों में राजसिंहासन और पारिवारिक कलह को कारण बताया गया है। रामायण में भरत ने त्याग का परिचय देते हुए 14 वर्ष तक श्री राम की खड़ाऊ रखकर राज किया। जबकि महाभारत में इसके बिल्कुल विपरीत है।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में प्रेरणा और चेतावनी दोनों बताए गए है। अर्जुन जहां प्रेरणा का संदेश देते है तो वहीं दुर्योधन चेतावनी का। अच्छाई जहां से भी मिले ले लेनी चाहिए। गीता में भी चेतावनी और प्रेरणा दोनों का उल्लेख है। उन्होंने भजन के माध्यम से संदेश दिया कि गीता अमृत पीओ, जीवन सुख से जीओ।