
Holka Dahan 2025, आज समाज डेस्क: आज होलिका दहन है और कल देशभर में होली मनाई जाएगी। बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में होलिका दहन पर पूजा का विशेष महत्व है। अगर विधि-विधान से शुभ मुहूर्त में होलिका की पूजा की जाए तो जीवन में कामयाबी मिलती है और घर में शांति बनी रहती है।
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भद्रा काल में दहन करना होता है अशुभ
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है। भद्रा खत्म होने पर ही दहन करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार आज सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी और 14 मार्च को यानी होली के दिन कल दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर यह समाप्त होगी। वहीं भद्रा काल आज सुबह 10:35 बजे से रात 11 बजकर 26 मिनट तक है।
शुभ मुहूर्त और होलिका दहन की विधि
वैदिक पंचांग के अनुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त आज रात को 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12:30 मिनट तक रहेगा। दहन के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। यदि यह असंभव हो, तो दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) को छोड़ किसी भी दिशा में होलिका दहन कर सकते हैं। पूजा करते हुए मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना शुभ होता है।
खुले स्थान में करना चाहिए दहन
Ñहोलिका दहन खुली जगह पर करना चाहिए, ताकि दहन की आग सुरक्षित तरीके से जल सके। अगर संभव हो तो, पुराने होलिका दहन स्थल पर ही अग्नि प्रज्वलित करनी चाहिए। यह शुभ माना जाता है। मंदिर अथवा पवित्र स्थान के नजदीक होलिका दहन करने से ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं में भद्रा को लेकर यह है जनकारी
पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि भद्रा सूर्य देव की पुत्री व शनिदेव की बहन है और उसका स्वभाव क्रोधी माना जाता है। ब्रह्माजी ने भद्रा को काल गणना के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में जगह दी थी ताकि उनके गुस्से को कंट्रोल किया जा सके। पंचांग में करण 11 होते हैं, जिसमें 7वां करण विष्टि कहलाता है और इस टाइम को अशुभ माना जाता है। इसलिए इस काल में कोई भी मांगलिक कार्य, शुभ काम अथवा उत्सव का आरंभ या समापन नहीं किया जाता।
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