Holi 2025: वसंत के आगमन व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली का पर्व

0
120
Best Holi wishes 2025 shayari : इन खूबसूरत संदेश और शायरी के जरिए अपनों को दीजिए होली की बधाई
Best Holi wishes 2025 shayari : इन खूबसूरत संदेश और शायरी के जरिए अपनों को दीजिए होली की बधाई

Holi Celebrations-2025, आज समाज डेस्क: भारतीय संस्कृति में होली का गहरा अर्थ है। यह त्योहार देश में मनाए जाने वाले सबसे हर्षोल्लासपूर्ण और रंगीन त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा समय है जब लोग एक साथ आते हैं, अपने मतभेदों को भूल जाते हैं और हंसी, प्यार और खुशी के साथ जश्न मनाते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है और इस बार देशभर यह त्योहार 14 मार्च (शुक्रवार) को यानी कल होली मनाया जाएगा।

होलिका दहन से होती है पर्व की शुरुआत

रंगोत्सव होली वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। त्योहार की शुरुआत होलिका दहन से होती है। होलिका दहन एक अनुष्ठान है जिसमें लोग नकारात्मकता को जलाने के प्रतीक के रूप में अलाव जलाते हैं। इससे अगला दिन रंग, हंसी और खुशी से भरा होता है। होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात को भद्रा रहित मुहूर्त में होली के एक दिन पहले किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार आज रात को होलिका दहन मनाया जाएगा।

फाल्गुन पूर्णिमा आज सुबह 10: 35 मिनट से शुरू

ज्योतिष के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा आज सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू हो गई है और इसी समय से भद्रा काल भी प्रारंभ हो गया है जो आज रात 11 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। वहीं पूर्णिमा तिथि शुक्रवार यानी 14 मार्च को होली के दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर यह समाप्त होगी। पंचांग के मुताबिक होलिका दहन (होलिका दहन अनुष्ठान और पूजा) का शुभ मुहूर्त आज रात 11 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा जो रात 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

होली पर चिंता मुक्त होकर लोग हंसी-खुशी मनाते हैं त्योहार

होली पर बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी इस मौज-मस्ती में हिस्सा लेते हैं। हवा में मिठाइयों की खुशबू, खुशनुमा गानों की आवाज और हर जगह चमकीले रंगों की झलक दिखाई देती है। लोग अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मिलते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब चिंताएं दूर हो जाती हैं और मुस्कान छा जाती है।

इन जगहों पर उत्सव विशेष रूप से उल्लेखनीय

उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन जैसे क्षेत्रों में उत्सव विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जो भगवान कृष्ण के साथ अपने ऐतिहासिक जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं, साथ ही राजस्थान के जयपुर, पुष्कर और उदयपुर जैसे शहरों में भी, जो जीवंत और पर्यटक-अनुकूल अनुभव प्रदान करते हैं।

यह भी पढ़ें : Holika Dahan: भद्रा काल में नहीं किया जाएगा होलिका दहन, जानें क्या है शुभ मुहूर्त