(राकेश शर्मा) सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक खंड पीठ ने बृहस्पतिवार को व्यापक परिप्रेक्ष्य में सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए 4:1 के बहुमत से नागरिकता क़ानून में विवादास्पद अनुच्छेद 6 A पर फेंसला सुनाते हूए कहा की संसद नागरिकता क़ानून बना सकती है और समय और परिस्थिति अनुसार परिवर्तन भी कर सकती है और यह वैद्य है।
भारतीय परिवेश में यह निर्णय बहुत समझदारी का फेंसला है और कई समस्याओं का समाधान करता प्रतीत होता है। समस्त व्यावहारिक और विवेकशील भारतीयों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है।
नया भारत “विकसित भारत” की बात कर रहा है । भारत में जनसंख्या विस्फोट विकसित भारत की राह में रोड़ा अवश्य बन सकता है , विकसित भारत की द्रुत गति में अल्पविराम भी लगा सकता है क्यूँकि अविरल विस्फोटक तेज़ गति से बढ़ती जनसंख्या से विकास के संसाधन कम पढ़ जाते है, शिक्षा के संस्थान कम होते हैं, रोज़गार सृजन करने में समस्या होती है, अस्पताल , सड़कें कम पड़ जाती है । विकसित भारत के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, अच्छी आमदनी, अच्छा रहन सहन, उत्पादन अत्यावश्यक है जिसे बढ़ती जनसंख्या प्रभावित करती है।
इस पर तुर्रा ये अवैध घुसपैठिए जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और रहन सहन को भी प्रभावित करते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से वर्तमान सरकार द्वारा लाए गए सीएए और एनआरसी क़ानूनों की वैधता को बल भी मिलेगा ।
1971 के बाद उनकी सूचना के अनुसार करोड़ों अवैध घुसपैठियों ने असम में प्रवेश किया जबकि सरकार के पास केवल 97,000 केस हैं
इस निर्णय के अनुसार 24 मार्च, 1971 के बाद असम में घुसपैठियों को चिन्हित कर उन्हें बाहर कर असम की अस्मिता को बचाना होगा , डेमोग्राफी परिवर्तन के दुष्प्रभाव से बचाना होगा । न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि 1971 के बाद उनकी सूचना के अनुसार करोड़ों अवैध घुसपैठियों ने असम में प्रवेश किया जबकि सरकार के पास केवल 97,000 केस हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के अन्तर्गत एक कमेटी काम करेगी और यह पता लगाएगी की सरकार कितनी मुस्तैदी से इन घुसपैठियों की पहचान कर इन्हें वापस भेजने का काम कर रही है और भविष्य में ऐसा ना हो इसके लिए सरकार क्या कर रही है।
यह निर्णय दूरगामी अच्छे परिणाम देने वाला है सिर्फ़ मेरी सरकारों और न्यायालय से एक ही अनुरोध है कि यही बात पूरे देश में बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं और अन्य घुसपैठियों पर भी लागू होनी चाहिए । ख़ासकर पश्चिम बंगाल में जहां सरकारी प्रोत्साहन से अपने वोट बढ़ाने के उद्देश्य से घुसपैठियों को घुसने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है, उनके छद्म आधार कार्ड, पेन कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट बनाये जाते हैं । एनआरसी क़ानून इसीलिए बनाया गया है की घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश निकाला दिया जाये जिससे भारतीय अस्मिता एवं अनेसर्गिक जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सके। यह सब करने का समय कल था, आज देर हो गई है यदि अब भी घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कठोर कदम नहीं उठाये गये तो कल विनाश होगा।