नई दिल्ली। महानतम खिलाड़ी दद्दा ध्यानचंद को देश में कौन नहीं जानता। लेकिन उन्हें अब तक भारत रत्न से दूर रखा गया है। उन्हें ये सम्मान दिलाने के लिए लए उनके मंझले बेटे अशोक कुमार सिंह आज भी डटे हुए हैं। भारत की 1975 विश्व कप जीत के हीरो अशोक ने एक दशक पहले यह मुहिम शुरू की थी। पर 1928 से 1936 तक लगातार तीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जिताने वाले हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को यह पुरस्कार अभी तक नहीं मिल पाया है।उनके बेटे ने कहा कि कई पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री ध्यानचंद के नाम की सिफारिश भारत रत्न के लिए कर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान नहीं मिल पाया। मैं उनके बेटे के नाते नहीं बल्कि हॉकी खिलाड़ी के नाते यह मानता हूं कि वह इस सम्मान के वाकई हकदार हैं। उन्होंने अपनी हॉकी की कलाकारी से देश का गौरव बढ़ाया और उस दौर में देश को ओलंपिक में लगातार तीन सुनहरे तमगे दिलाए जब सुविधाएं नाममात्र थी। देशभर से यही आवाज उठती है कि ध्यानचंद को अब तक भारत रत्न क्यों नहीं। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं। मुझे अभी भी उम्मीद है कि सरकार इस बाबत सोचेगी और उन्हें भारत रत्न से नवाजेगी। ज्ञात रहे दद्दा के जन्मदिवस 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।