नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट प्रतिदिन सुनवाई कर रहा है। संभव है कि इस मामले में अंतिम फैसला नवंबर तक आने की उम्मीद जताई जा रही है। अब तक इस मामले में हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें रख दी हैं। 2.77 एकड़ में फैली राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक के लिए बीते 70 सालों से कानूनी लड़ाई जारी है। शुक्रवार को हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पूरी की। अब मुस्लिम पक्ष को अपनी दलीलें रखनी है। हिंदू पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन का दो-तिहाई हिस्सा दिया था। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में छह अगस्त को सुनवाई शुरू हुई थी। बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ कर रही है। इस पीठ में जस्टिस एसए बोबड़े, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं। पीठ ने बेहद कम समय में ही रामलला, निमोर्ही अखाड़ा, आॅल इंडिया राम जन्मस्थान पुनरुर्त्थान समिति, हिंदू महासभा के दो धड़े, शिया वक्फ बोर्ड और गोपाल सिंह विशारद के कानूनी उत्तराधिकारी की दलीलें सुनीं। अब सोमवार को इस मामले में मुस्लिम पक्ष अपनी दलील रखेगा। मामले में तेजी से सुनवाई करने का सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे तैयारी करने के लिए समय नहीं मिलता है। हालांकि कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी। वहीं मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। ऐसे में इस बात की चर्चा की जा रही है कि उनके सेवानिवृत होने से पहले फैसला आ सकता है। वहीं जमीन का दो तिहाई हिस्सा जिसके पास है, उसकी सुनवाई पूरी होने से फैसला जल्द आने की उम्मीद और भी बढ़ गई है।