- हिंदू नव वर्ष के दिन ब्रह्मा जी ने की थी सृष्टि की रचना :- शंकर
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
रेलवे रोड़ स्थित श्री विष्णु भगवान मन्दिर में हिन्दू नव वर्ष बड़ी धूम-धाम से मनाया गया जिसमें अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस दौरान मन्दिर में विशेष रूप से पूजा आरती की गई एवं मन्दिर के उपर विशेष ध्वज लहराया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मन्दिर प्रभारी शंकर ने बताया कि भारत में सदियों से हिन्दू समुदाय द्वारा विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।
विक्रम संवत कैलेंडर पूर्ण रूप से वैज्ञानिक गणना पर आधारित :- शंकर
इस कैलेंडर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर काल की गणना करता है एवं विभिन खगोलीय घटनाओं की सटीक एवं प्रामाणिक जानकारी मुहैया करवाता है। पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर निर्मित हिन्दू नववर्ष को प्रत्येक वर्ष चैत्र माह की प्रथम तिथि को मनाया जाता है जो की देश में नववर्ष का सूचक है। देश में विभिन त्यौहार, पर्व, व्रत एवं अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार किया जाता है। हिन्दू नववर्ष से ही देश में नवीन वर्ष की शुरुआत मानी जाती है जो की चैत्र महीने में होता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत 22 मार्च 2023 से प्रारम्भ हो रहा है और इसी दिन से नौ दिनों का नवरात्रि पर्व भी शुरू हो जाता है। माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी।
मन्दिर प्रभारी शंकर ने बताया कि वैज्ञानिक पद्धति से तैयार किया गया विक्रम संवत कैलेंडर पूर्ण रूप से वैज्ञानिक गणना पर आधारित है जहां नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में मनाया जाता है। चैत्र माह में प्रकृति में चारों ओर उत्साह एवं सौंदर्य प्रदर्शित होता है एवं बसंत ऋतु का आगमन होता है। हिन्दू नववर्ष के अवसर पर सम्पूर्ण प्रकृति ही नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार प्रतीत होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी हिन्दू नववर्ष को अत्यंत पवित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर मन्दिर कमेटी प्रधान मनोहर लाल झुकिया ने बताया कि हिन्दू नववर्ष हजारों वर्षों से हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण दिनों में शामिल रहा है। हिन्दू धर्म में नववर्ष को नवीनता का प्रतीक माना गया है एवं इस अवसर पर पूजा-पाठ एवं विभिन प्रकार के शुभ कार्यों को करने की परंपरा रही है। हिन्दू नववर्ष को विक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है जिसकी शुरुआत उज्जैन के महान शासक विक्रमादित्य द्वारा शकों को पराजित करने के उपलक्ष में 58 ई. पू. में की गयी थी।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर मन्दिर कमेटी प्रधान मनोहर लाल झुकिया, पूर्व एसडीओ लक्ष्मीनारायाण कौशिक, कोषाध्यक्ष रामानन्द शर्मा, संजय मित्तल, प्रदीप निम्भेड़िया, आत्माराम, सुशील कुमार अग्रवाल, रुपेश गर्ग, रतनलाल माधोगढ़िया, संजय माधोगढ़िया, नरेंद्र बैरवासिया, अमरजीत अरोड़ा सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें : शहीदी दिवस के अवसर पर 23 मार्च को कांटी में निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर का आयोजन
यह भी पढ़ें : ओलावृष्टि व बरसात के कारण क्षेत्र के किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद – अक्षत राव
यह भी पढ़ें : यूपीआई को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिल रही है स्वीकृति : सांसद कार्तिक शर्मा