Himachal News : लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधायिका की भूमिका अहम: कुलदीप पठानिया

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Himachal News : लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधायिका की भूमिका अहम: कुलदीप पठानिया
Himachal News : लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधायिका की भूमिका अहम: कुलदीप पठानिया

Himachal News : शिमला। विधानसभा अध्यक्ष (speaker of the assembly) कुलदीप सिंह पठानिया (Kuldeep Singh Pathania) ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधायिका की भूमिका अहम है। अब समय के साथ काफी परिवर्तन हो गया है तथा टैक्नोलॉजी ने सारी व्यवस्थाएं बदल दी हैं।

वे विधानसभा सचिवालय सदन (Legislative Assembly Secretariat House) में आयोजित 14वीं विधानसभा के लिए प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों के उद्बोधन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। पठानिया ने कहा कि आज जनता भी जागरूक हो गई है तथा वह पल-पल अपने जन प्रतिनिधि की खबर रखती है।

उन्होंने कहा कि सदस्यों के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अहम है जहां आप लोकतांत्रिक प्रणाली का ज्ञान हासिल करेंगे, वहीं विधानसभा की कार्यप्रणाली, क्रिया-कलापों, समिति प्रणाली, ई-विधान प्रणाली की जानकारी हासिल करेंगे। पठानिया ने कहा कि विधायिका सरकार की वह शाखा है जो देश के कानून बनाने के लिए जिम्मेदार है।

यह राज्य की इच्छा को तैयार करने और उसे कानूनी अधिकार और शक्ति प्रदान करने की प्रभारी एजेन्सी है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों द्वारा उठाए गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। इस अवसर पर उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विनोद सुल्तानपुरी तथा चन्द्रशेखर ने प्रश्नकाल तथा सदन में पेश होने वाले बिलों से सम्बन्घित प्रश्न भी पूछे जिसका विधान सभा अध्यक्ष ने जवाब दिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में देहरा की विधायक एवं मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर (kamlesh thakur) भी उपस्थित थी। कार्यक्रम में उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक नीरज नैय्यर, धर्मवीर सिंह ठाकुर, मलेन्द्र राजन, अनुराधा राणा, भुवनेश्वर गौड़, लोकेन्द्र कुमार, पूरन चन्द ठाकुर, चन्द्रशेखर, दलीप ठाकुर, सुरेश कुमार, रणजीत राणा, हरदीप सिंह वाबा, विनोद सुल्तानपुरी तथा विवेक शर्मा शामिल हुए।

इस अवसर पर कुलदीप पठानिया ने सदस्यों को स्मरण कराते हुए कहा कि जिस स्थान पर हम यहां कौंसिल चैम्बर में बैठे हैं, इसका गौरवशाली इतिहास रहा है। इसका निर्माण वर्ष 1920 से 1925 के बीच में राष्ट्रीय असैम्बली के रूप में हुआ था। इस सदन को विठ्ठलभाई पटेल, मोती लाल नेहरू तथा लाला लाजपतराय जैसी महान विभूतियों ने सुशोभित किया है। महिलाओं को मत देने के अधिकार का प्रस्ताव इसी सदन में लाया गया था तथा पारित किया गया।

यह सदन कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। पठानिया ने इस अवसर पर ई-विधान प्रणाली पर भी प्रकाश डाला तथा कागजरहित प्रणाली की भरपूर सराहना की। उन्होंने कहा कि आज 22 से ज्यादा राज्य हिमाचल प्रदेश की ई-विधान प्रणाली का अनुसरण कर रहे हैं तथा शीघ्र ही हम सब नई राष्ट्रीय ई-विधान प्रणाली को अपनाने जा रहे हैं।

सम्मेलन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों को विधान सभा की आन्तरिक प्रणाली की जानकारी भी दी। इस अवसर पर मौजूद राजस्व मंत्री (Revenue Minister) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) सरकार जगत सिंह नेगी (Jagat Singh Negi) ने भी विचार सांझा किए। जगत सिंह नेगी ने विधायिका की सदन में भूमिका एवं विशेषाधिकार पर सदन में मौजूद सदस्यों को विस्तृत एवं महत्वपूर्ण जानकारी दी।

नेगी ने अपने अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि आज समय बहुत बदल चुका है। आज ई-विधान (E-Vidhan) का जमाना है, तकनीक की बजह से बहुत परिवर्तन आया है। आज विधायकों को कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन वर्ष 2000 से पहले यह बहुत ही कम हुआ करती थी।

उन्होंने सभी सदस्यों से इस कार्यक्रम का लाभ उठाने का अनुरोध किया तथा यह उनकी कार्यकुशलता में वृद्वि का कारका होगा। इस अवसर पर विधानसभा सचिव (Assembly Secretary) यशपाल शर्मा (Yashpal Sharma) ने सदस्यों के लिए सदन में पालनीय नियमों पर अपना सम्बोधन दिया तथा अन्य अधिकारियों ने विधायकों को दी जाने वाली सुविधाओं, प्रश्नकाल, सदन में चर्चा, विधायी कार्यों तथा ई-विधान प्रणाली की विस्तृत जानकारी दी।

सत्र समापन के अवसर पर उद्योग एवं संसदीय कार्यमंत्री (Minister of Industry and Parliamentary Affairs) हर्षवर्धन चौहान (Harshvardhan Chauhan) ने भी विचार सांझा किए तथा विधानसभा अध्यक्ष की विधायकों के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन की सराहना की। हर्षवधन चौहान ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सदस्यों ने आज बहुत कुछ सीखा होगा जो भविष्य में सहायक सिद्ध होगा। Himachal News

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