Himachal News : शैलेष भटनागर। चम्बा। पर्यावरण (Environment) के बिगड़ते संतुलन (deteriorating balance) के कारण देश और दुनिया में लगातार बढ़ रहा तापमान (rising temperature) 21वीं शताब्दी की प्रमुख चुनौती है जिसकी रोकथाम के लिए जल, जंगल और जमीन का संरक्षण (Conservation of water, forests and land) करना अत्यंत आवश्यक है।
इस समस्या के समाधान के लिए पौधारोपण (Plantation) सबसे अहम कड़ी है जिसके लिए सरकारी तथा निजी स्तर पर अनेक प्रयास निरंतर प्रयास जारी है।
बावजूद इसके साल दर साल लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है परिणामस्वरूप असमय वर्षा का होना (untimely rainfall) तथा एक निर्धारित अवधि में एक स्थान पर बारिश का औसत से कई गुना ज्यादा होना पृथ्वी पर मानवीय तथा अन्य जीव जंतुओं के भविष्य के लिए खतरे की चेतावनी है इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें न केवल सरकारी व निजी संस्थाओं के ऊपर निर्भर रहना चाहिए, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी पहले से अधिक प्रयास करना चाहिए ताकि भविष्य में बिगड़ते पर्यावरण संतुलन के दुष्परिणामों से बचा जा सके।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वन वृत्त चम्बा (Chamba) जिले में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। जिले की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद वन विभाग द्वारा जिला के वन क्षेत्रों में न केवल प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं, बल्कि उन्हें लगातार बचाए रखने के लिए विभाग के जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे कर्मचारी गर्मियों के मौसम में 24 घंटे सजग रहते हैं तथा जान हथेली पर रखकर इन पेड़ पौधों का जंगलों में लगी आग से बचाव करते हैं।
चम्बा वन वृत्त वन संसाधनों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध एवं पोषित है। जिले का 4,256 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन विभाग के अधीन है जिसमें से 2,453 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन आवरण से ढका है जबकि शेष अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में घास एवं विभिन्न प्रकार के अन्य जड़ी-बूटियां (Herbs) विद्यमान है।
यह क्षेत्र जिले में जैव परिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के अलावा वन्य जीवों (Wildlife) तथा स्थानीय लोगों के पालतू पशुओं (Pets) के लिए भी चारे इत्यादि का प्रमुख साधन है। प्रत्येक वर्ष मानसून (Monsoon) सीजन के दौरान जिला चम्बा में लगभग 1,200 हेक्टेयर वन भूमि में पौधारोपण किया जाता है।
पौधारोपण कार्यों के लिए विभागीय नर्सरियों में प्रतिवर्ष विभिन्न प्रजातियों के लगभग 12 से 14 लाख पौधों तैयार किए जाते है। उन्होंने बताया कि जिले में वन संपदा (Forest wealth) के संरक्षण में आगजनी की घटनाएं वन विभाग के लिए सबसे प्रमुख चुनौती है, लोगों द्वारा अपनी घासिनियों को साफ-सफाई के मकसद से आग लगाना वनों में आगजनी की घटनाओं का प्रमुख कारण है।
इस समस्या के समाधान के लिए वन विभाग द्वारा समय-समय पर निरंतर लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील व जागरूक किया जा रहा है तथा उन्हें वनों में आग न लगने वारे विशेष हिदायतें दी जा रही हैं।
विभाग द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों के बावजूद जिले में इस बार 213 आगजनी (forest fire) के मामले सामने आए हैं। जिस कारण 2,763 हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है तथा लगभग 440 हेक्टेयर पौधरोपित क्षेत्र नष्ट हुआ है।
उन्होंने बताया कि विभागीय आंकलन के अनुसार इन आगजनी की घटनाओं से सरकार को 68 लाख का राजस्व नुकसान हुआ है जबकि प्रकृति, जैव विविधता तथा वन्य जीवों को हुए को हुई भारी क्षति का आंकलन नहीं किया जा सकता है।
वन वृत्त चम्बा के तहत चम्बा, चुराह, भरमौर, डलहौजी तथा पांगी सहित कुल 5 मंडल हैं। इन में कुल 18 परिक्षेत्र, 55 खंड तथा 198 बीत है। वन वृत चम्बा में कुल 713 स्वीकृत पद हैं जिसके तहत विभिन्न वर्गों के 584 पदों पर अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं।
चम्बा के मुख्य वन अरण्यपाल (chief forest conservator) अभिलाष दामोदरन (Abhilash Damodaran) ने बताया कि अधिकारियों व कर्मचारियों के लगभग 15 रिक्त पद होने के बावजूद वन वृत्त चम्बा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते हुए वन अपराध को रोकने, वन्य प्राणियों के अवैध शिकार, बहुमूल्य वन संपदा की तस्करी से संबंधित मामलों तथा अवैध कटान के विरुद्ध कड़े कदम उठाते हुए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर रहा है। Himachal News
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