Aaj Samaj (आज समाज), Hemant Soren News, नई दिल्ली: जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख हेमंत सोरेन ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार के बाद अपनी अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार के साथ ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को सच को दबाने के लिए कड़ी फटकार भी लगाई।
सोरेन का मामला भी अरविंद केजरीवाल के आदेश के हूबहू
दरअसल, सोरेन ने अपने वकील कपिल सिब्बल के जरिये हाल ही में कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। फटकार के बाद सिब्बल ने याचिका वापस ले ली। सिब्बल ने कोर्ट को बताया था, उनका मामला भी अरविंद केजरीवाल के आदेश के हूबहू है और उन्हें भी प्रचार अभियान के लिए जमानत की जरूरत है।
अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सवाल
एक दिन पहले 21 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि अगर ट्रायल कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर जमानत को खारिज कर दिया है तो क्या गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण हो सकता है? कोर्ट ने सोरेन के वकील से पूछा था कि नियमित जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें कैसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
ईडी ने 31 जनवरी को किया था गिरफ्तार
बता दें कि हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर जमीन से जुड़े घोटाले के मामले में धन शोधन का आरोप है। पूर्व सीएम फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से जुड़ी है। ईडी का आरोप है कि इसे अवैध रूप से कब्जे में लिया गया था। सोरेन ने रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
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