- गर्मी के नुकसान से बचने के लिए शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखें
- जरुरी कार्य के लिए ही घर से बाहर निकलें : डीसी मोनिका गुप्ता
- पशुओं व पक्षियों के लिए भी करें पानी की व्यवस्था
Aaj Samaj (आज समाज),Heat Wave ,नीरज कौशिक, नारनौल : उपायुक्त मोनिका गुप्ता (आईएएस) ने भीषण गर्मी के कारण हीट-स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों से बचने के लिए आज जिला के निवासियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि इस भीषण गर्मी में ऐतिहात बरतनी चाहिए।
डीसी ने जिला के निवासियों से आह्वान किया है कि भीषण गर्मी को देखते हुए आमजन जरूरी कार्य से ही घर से बाहर जाएं। उन्होंने कहा कि जितना हो सके सुबह व शाम ही अपना कार्य करें। इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से लोग गर्मी से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। अधिक गर्मी से हीट-स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां तक हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि गर्मी के नुकसान से बचने के लिए शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखें।
डीसी ने कहा कि चिकित्सकों ने सूर्य के सीधे संपर्क से बचने की सलाह दी है। खासकर पीक ऑवर्स के दौरान सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच धूप से बचना चाहिए। साथ ही उन्होंने पशुओं व पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करने को कहा है। पक्षियों के लिए स्कोरे रखें। उन्होंने कहा कि बेजुबान जानवरों को बचाना भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
भीषण गर्मी से कैसे बचें
नारनौल। उपायुक्त मोनिका गुप्ता (आईएएस) ने भीषण गर्मी से बचाव के बारे में बताया कि ठंडे, अल्कोहल रहित, कैफीन रहित पेय पदार्थ पिएं। चाय और शराब निर्जलीकरण का कारण बनते हैं। उन्होंने बताया कि बहुत ठंडे तरल पदार्थों से बचें क्योंकि वे पेट में ऐंठन पैदा कर सकते हैं। प्यास न होने पर भी हर दो घंटे में एक गिलास पानी पिएं, अगर धूप में हैं तो हर घंटे पिए। व्यायाम करते समय हर 15 मिनट में नींबू पानी, चीनी और नमक का मिश्रण पिएं। सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें। दिन के दौरान जोरदार गतिविधियों से बचें। बाहर निकलने से पहले इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने के लिए पानी, नारियल पानी, छाछ व ताजा नींबू पानी पिएं। तरबूज, अनानास, खीरा जैसे ज्यादा पानी वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
अगर आपको बहुत गर्मी लग रही है तो ठंडे पानी से नहाएं।ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें। बाहर जाते समय टोपी व छाते का इस्तेमाल करें।
ये है निर्जलीकरण के लक्षण
मुंह, जीभ का सूखना। लगातार प्यास लगना। गहरे रंग का मूत्र, कम मूत्र उत्पादन, सूखी, परतदार त्वचा, कब्ज, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, निम्न रक्तचाप आदि।
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