Heart problem : जानें आज के युवाओं में क्यों बढ़ रही हैं दिल की बीमारियां

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ओवरईटिंग और ज्यादा स्क्रीन टाइम

Heart problem : आज के डिजिटल युग में, टेक्नोलॉजी हमारी दैनिक जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। ज्यादातर युवाओं की जिंदगी स्मार्टफोन और टेबलेट्स से लेकर गेमिंग कंसोल्स और कंप्यूटरों तक पर ओवर डिपेंडेंट है। बेशक, इसका फायदा है, जैसे सूचनाओं और बेहतर कम्युनिकेशन की बुनियाद यही टेक्नोलॉजी है। मगर इसमें भी दो राय नहीं कि इनकी वजह से लोगों के लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। उनका सेडेन्ट्री स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। इन बदलती आदतों ने कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दिया है। जिनमें हृदय रोग (Heart Disease) भी शामिल हैं। ऐसा देखा जा रहा है कि भारत में युवाओं (Heart diseases in young adults) में इन रोगों के मामले बढ़ रहे हैं।

1 क्रोनिक स्ट्रेस

सोशल मीडिया के लगातार संपर्क में रहने, गेमिंग कंपीटिशन, या कई बार कामकाज की वजह से भी स्ट्रैस, एंग्जाइज़ी और यहां तक कि डिप्रेशन भी बढ़ता है। स्ट्रैस का सीधा असर हार्ट हेल्थ पर पड़ता है। क्रोनिक स्ट्रैस रहने से ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ने की शिकायत होती है, जिससे हार्ट पर दबाव पड़ता है।

2 ओवरईटिंग और ज्यादा स्क्रीन टाइम

इनका एक और पहलू भी है। स्ट्रैस की वजह से कई बार ओवरईटिंग, स्मोकिंग या अल्कोहल के अधिक सेवन जैसी आदतें भी बढ़ती हैं। जो धीरे-धीरे कार्डियोवास्क्युलर समस्याओं को बढ़ाती हैं। मोटापे और हृदय रोगों के बीच भी संबंध है। भारत में हाल के दिनों में बच्चों में भी मोटापे की समस्या दिखायी दे रही है। जो उनके सेडेन्ट्री लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से है।

3 एक्सरसाइज न करना

बचपन या किशेर उम्र में मोटापा जीवन में आगे चलकर हार्ट डिजीज का संकेत होता है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम, व्यायाम का अभाव, हाइ कैलोरीयुक्त जंक फूड का अधिक सेवन करने से अक्सर वजन बढ़ने की समस्या होती है। यह सभी हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार हैं।

4 स्लीप पैटर्न खराब करता है स्क्रीन टाइम

दुर्भाग्यवश, बहुत से युवा इसके दीर्घकालिक हेल्थ रिस्क से अनजान होते हैं। टेक्नोलॉजी की वजह से नींद की कमी भी रहती है और यह ऐसा साइड इफेक्ट है जिस पर अक्सर हम गौर नहीं करते। बहुत से युवा रात में देर तक फोन या लैपटॉप पर काम करते रहते हैं, जिससे उनके स्लीप पैटर्न पर असर पड़ता है। खराब स्लीप क्वालिटी और पर्याप्त आराम नहीं लेने से भी हार्ट रोगों का रिस्क बढ़ता है।

नींद की कमी की वजह से शरीर में स्ट्रैस हार्मोनों का स्राव ज्यादा होता है, हाइ ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है और शरीर में इंफ्लेमेशन भी बढ़ता है – इनके चलते हृदय की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है।