इन कारणो के चलते बढ़ रहे हैं युवाओं में हार्ट अटैक के मामले

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युवाओं में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले

एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला के निधन के बाद यह सवाल किया जाने लगा है कि आखिर युवाओं में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ शुक्ला की मौत हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ने से हुई, हालांकि मुंबई के कूपर अस्पताल की ओर से कहा गया है कि अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला को 2 सितंबर की सुबह 10.30 बजे मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया और मौत की वजह का अभी पता नहीं चल पाया है। बिग बॉस 13 के विजेता और टीवी शो बालिक वधु में अपने किरदार से काफी मशहूर होने वाले सिद्धार्थ शुक्ला 40 साल के थे। इसी साल जून में फिल्म निर्माता और एक्ट्रेस मंदिरा बेदी के पति राज कौशल की भी कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई, उससे पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की वजह क्या है? क्यों शारीरिक रूप से फिट दिखने वाले लोगों को भी दिल का दौरा पड़ जाता है? युवाओं में हार्ट अटैक के क्या रिस्क फैक्टर हैं और हार्ट अटैक से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बढ़ती उम्र दिल से जुड़ी बीमारियों और समस्याओं के उन जोखिम कारकों में से एक है, जो हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन 20 से 40 साल की उम्र वाले लोगों में भी हार्ट अटैक का खतरा भी समस्या बन चुकी है। युवा लोगों में भी ज्यादातर हार्ट अटैक के लिए वही रिस्क फैक्टर जिम्मेदार होते हैं, जो दिल की दूसरी बीमारियों का भी जोखिम बढ़ाते हैं। हार्ट अटैक के मामले में बढ़ता स्ट्रेस यानी तनाव एक और महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, जो विशेष रूप से इस कोरोना महामारी के दौरान देखा गया है।

हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ाने वाले कारक

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, परिवार में दिल की बीमारी या हार्ट अटैक का इतिहास, हाई कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग यानी धूम्रपान

हार्ट अटैक के लक्षण और कार्डियक इमरजेंसी

ज्यादातर मामलों में सीने के बीच तकलीफ होती है, जो कुछ मिनट से ज्यादा तक हो सकती है या ऐसा भी हो सकता है कि कुछ मिनट तकलीफ हो, फिर ठीक हो जाए और फिर तकलीफ होने लगे. सीने पर दबाव, भारीपन या दर्द महसूस हो सकता है। एक या दोनों बांह, बैक, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। अन्य संभावित संकेतों में ठंडा पसीना, मिचली या चक्कर आना शामिल है। गंभीर रूप से लगातार सीने में दर्द होना, सांस फूलना या हांफना, चेतना की कमी या बेहोशी महसूस करना, पसीना आना कार्डियक इमरजेंसी के संकेत हैं।

हार्ट अटैक का रिस्क घटाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों के जोखिम कारकों को जल्दी पहचानना और इनके उपाय करना दिल के दौरे को रोकने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसलिए ऐसे जोखिम कारकों का पता लगाने और फिर जोखिम को नियंत्रित और कम करने के लिए 30 की उम्र से पूरा हेल्थ चेकअप कराना महत्वपूर्ण है। वहीं तनाव को मापना मुश्किल है और इसलिए इसे जीवनशैली में बदलाव जैसे योग, ध्यान और शारीरिक व्यायाम से मैनेज करना अहम है।