आशीष सिन्हा । नई दिल्ली भारत समेत दुनिया के तमाम देश जानलेवा कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी अब मान लिया है कि करोना काल जल्द खत्म होने वाला नहीं है। इसलिए धीरे-धीरे अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई शुरू की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि 27 जुलाई से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के मामले पर रोजाना सुनवाई होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में 12 फीसदी मराठा आरक्षण दिया है। बंबई हाईकोर्ट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। अब उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें सुनवाई शुरू हो रही है।
इससे पहले कई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बहस को ये कहते हुए टाल दिया था कि इस पेचीदा मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई मुश्किल होगी। इसलिए थोड़ा इंतजार कर खुली अदालत में बहस की जाएगी।
ज्यादातर वकीलों ने भी इसपर सहमति जताई थी, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि करोना का दौर जल्द खत्म नहीं होगा। इसलिए अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही मामले की सुनवाई शुरू करनी चाहिए। वकीलों से दरख्वास्त की गई है कि वह कम शब्दों में अपनी बात कहेंगे और एक बात को दोहराएंगे नहीं।
महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के मामलों में मराठा समुदाय के लये आरक्षण की व्यवस्था के लिये राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण कानून, 2018 लागू किया गया था। बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल अपने फैसले में इस कानून को सही ठहराते हुए कहा था कि 16 फीसदी का आरक्षण न्यायोचित नहीं है। इस कानून के तहत रोजगार के लिए 12 प्रतिशत और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए 13 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील लंबित हैं।
इस याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि 12 प्रतिशत का मराठा आरक्षण मेडिकल के पीजी और डेन्टल पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में लागू नहीं होगा। न्यायालय ने पांच फरवरी को मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून को सही ठहराने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।