Health Tips: हमारे देश में हजारों तरह के पौधे पाए जाते हैं, खासकर औषधीय गुणों से भरपूर पौधों की कोई कमी नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा को प्राचीन काल से ही उपचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। आज भी कई बीमारियों के उपचार में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।
इन्हीं औषधीय पौधों में से एक है पत्थरचट्टा। आयुर्वेद में पत्थरचट्टा के पत्तों को सेहत के लिए वरदान माना जाता है। इसके नियमित सेवन से व्यक्ति पथरी से लेकर घाव भरने जैसी समस्याओं से राहत पा सकता है।
आइए जानते हैं इसके नियमित सेवन से कौन-कौन सी बड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। आयुर्वेद में पत्थरचट्टा के पत्तों का इस्तेमाल कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है। पत्थरचट्टा को एयर प्लांट, कैथेड्रल बेल्स, लाइफ प्लांट और मैजिक लीफ जैसे नामों से भी जाना जाता है।
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर के सहायक प्राध्यापक डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि पत्थरचट्टा एक ऐसा पौधा है जो पत्थरों को खुद खाता है। पत्थरचट्टा का पौधा पथरीली जमीन पर पत्थरों के पास या आसपास उगता है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए जब प्रयोग किया गया तो पाया गया कि अगर हमारे शरीर में कहीं पथरी या पथरी बन गई है या कैल्शियम जमा हो गया है तो पत्थरचट्टा उसे तोड़ देता है। यह छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर पेशाब के जरिए बाहर निकल जाता है।
ऐसे करें इस्तेमाल
पत्थरचट्टा का इस्तेमाल खास तौर पर पथरी की बीमारी के लिए किया जाता है. इसके अलावा पत्थरचट्टा को घाव पत्ता भी कहते हैं. इसका स्वाद कसैला होता है. पत्थरचट्टा के पत्तों का पेस्ट बनाकर घाव पर बांधने से घाव जल्दी भर जाता है.
पत्थरचट्टा के पत्ते में बीज होता है, इसलिए इसे पर्णबीज भी कहते हैं. जब पत्ते से बीज गिरता है तो नया पौधा उगता है. इसके पत्ते चमड़े जितने मोटे होते हैं. इसमें गुलाबी और हरे रंग के फूल लगते हैं. फूल के डंठल पर होने की वजह से यह बेहद खूबसूरत लगता है. लोग बगीचे में भी पत्थरचट्टा का पौधा लगाते हैं.