कोटा। राजस्थान के कोटा शहर के एक शख्स केसरी लाल पहाड़िया बाजार में सिक्के नहीं चलने से काफी आहत हैं। आखिर में उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला ही कर लिया है कि शायद चुनाव जीतकर सिक्कों का कुछ हो जाएगा। इसी आस में कोटा कलेक्ट्रेट पहुंचकर कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म भर दिया है। क्षेत्र के प्रसिद्ध डाढ़ देवी माता के बाहर नारियल और प्रसाद बेचने वाले केसरी लाल का कहना है कि समझ लीजिए उनकी जगह डाढ़ देवी माता ही चुनाव लड़ रही है। केसरीलाल अपना नामांकन फार्म लेने के लिए भी सिक्के ही लेकर आए थे। उन्होंने इन सिक्कों को कलेक्ट्रेट में जमा भी कराया है। केसरीलाल चवन्नी और अठन्नी यानी 25 पैसे और 50 पैसे के सिक्के लेकर आए। केसरी लाल का कहना है कि कलेक्ट्रेट के अधिकारियों ने कहा कि यह पैसे हमें भुगतने पड़ेंगे ऐसे में मैंने उन्हें नहीं दिया। केसरी लाल ने 28 साल इंडो इंजीनियरिंग में नौकरी की।
इसके बाद से वे अब डाढ़ देवी माता के बाहर नारियल और प्रसाद बेचते हैं। इससे ही उनके पास सिक्के इकट्ठे हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने सिक्कों को बंद करने का आदेश नहीं दिया है। केवल 1000 और 500 के नोट बंद करने का आदेश दिया था। सेठों ने गिनने की समस्या के चलते सिक्के लेना बंद कर दिया। अब सिक्के बाजार में बंद हो गए। बैंक भी सिक्कों को नहीं ले रहा है। जिसका खामियाजा बच्चों और गरीबों को भुगतना पड़ रहा है। केसरीलाल का कहना है कि गरीब लोगों की कहीं भी सुनवाई है। वहीं बिना रैली के नामांकन भरने आने पर केसरीलाल का कहना है कि मैं जुलूस नहीं लाना चाहता, शूरवीर तो अकेला ही लड़ता है। उन्होंने एक रुपए के 2900 सिक्के और 2 रुपए के 35 नोट मिलाकर 12500 रुपए जमा करवाए हैं।