गत वर्ष आंध्र प्रदेश पुलिस, नौसेना की खुफिया इकाई तथा केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में सात नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद नौसेना ने नौसैनिकों के स्मार्टफोन और फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसी मामले में इस साल फरवरी माह में खुफिया एजेंसी द्वारा पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में तेरह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो हनीट्रैप के शिकार होने के बाद सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तानी एजेंटों को नौसेना से संबंधित संवेदनशील सूचनाएं लीक किया करते थे। वैसे नौसेना हो या सेना के अन्य अंग वायुसेना अथवा थलसेना, भारतीय सेना में हनीट्रैप के ऐसे मामले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिशों के चलते पिछले कुछ वर्षों से निरन्तर सामने आ रहे हैं। आईएसआई भारतीय सेना में अपने जासूसों का प्रवेश कराने के लिए जिस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है, वह चिंतनीय है।खुफिया एजेंसियों की जांच में कई बार खुलासा हो चुका है कि आईएसआई खूबसूरत लड़कियों की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर सुरक्षा बलों के लोगों को प्यार के जाल में फंसाकर जासूसी करा रही है। अभी तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और सैन्यकर्मी आईएसआई की ऐसी महिला जासूसों के मनमोहक जाल में फंसकर सेना की गोपनीय सूचनाएं लीक करते पकड़े गए हैं। ज्यादा समय नहीं हुआ, जब वायुयेना के वरिष्ठ अधिकारी अरूण मारवाह और थलसेना के एक अधिकारी को सेना में जासूसी के आरोप में दबोचा गया था और ये मामले उस समय देशभर में सुर्खियां बने थे। तब यह भी उजागर हुआ था कि आईएसआई कैसे सोशल मीडिया के जरिये युवाओं, सैन्यकर्मियों व सेना अधिकारियों को महिला एजेंटों के जरिये अपने जाल में फंसाने में सफल हो रही है। दरअसल पाकिस्तान परोक्ष रूप से भारत के समक्ष कभी सिर उठाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता। जमीनी लड़ाई में भारत से पिटता रहा पाकिस्तान इसीलिए आईएसआई के माध्यम से भारतीय जवानों और अधिकारियों को ऐसी ही हसीनाओं के ‘हसीन’ जाल (हनीट्रैप) में फंसाकर गुप्त राज हासिल करने की जुगत में काफी समय से लगा है। हालांकि सर्वाधिक चिंताजनक स्थिति यह है कि समय-समय पर सेना के कुछ बड़े अधिकारी भी दुश्मन देश को सूचनाएं लीक करने के मामले में पकड़े जाते रहे हैं। एक देश द्वारा दूसरे देश की सैन्य जासूसी कराने के मामले कोई नई बात नहीं है बल्कि सदियों से यह सब चला आ रहा है। कभी इस कार्य के लिए खूबसूरत लड़कियों को जासूस बनाकर इसी कार्य के लिए दूसरे देश में भेजा जाता था, जिन्हें ह्यविषकन्याह्ण नाम दिया जाता था। माताहारी जैसी बेहद खूबसूरत जासूसों के किस्से प्राय: सुने ही होंगे, जिन्हें दूसरे देशों में वहां के सैन्य अधिकारियों को उनकी खूबसूरती के जाल में फंसाकर उस देश की जासूसी के लिए भेजा जाता था। उस समय इन विषकन्याओं को जासूसी के आरोप में पकड़े जाने पर सजा के रूप में गोली से उड़ा दिया जाता था किन्तु अब जासूसी के तौर-तरीके पूरी तरह बदल गए हैं। जासूसी के कार्यों के लिए आज भी भले ही महिलाओं को इस्तेमाल सर्वाधिक किया जाता हो किन्तु आधुनिक तकनीक और साइबर व सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते इन्हें दूसरे देश भेजने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती बल्कि अपने देश में ही रहकर ये महिला जासूस या ऐसे ही छद्म जासूस इन्हीं आधुनिक तकनीकों के सहारे यह काम बखूबी कर रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)