Haryana’s only agricultural university marginalized: हरियाणा की एकमात्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हाशिए पर पहुंची

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चंडीगढ़। हरियाणा की एकमात्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की हालत ठीक नहीं है और कुप्रबंधन के चलते हाशिए पर चली गई है। न तो रिसर्च का काम सही तरीके से हो रहा है और न ही लैब्स की हालत ठीक है। इसका खुलासा जारी की गई कैग की रिपोर्ट में हुआ। रिपोर्ट के अनुसार चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (सीसीएचएयू), हिसार में चीजें बिल्कुल सही नहीं जा रहीं। स्थिति ये है कि 3 करोड़ से ज्यादा की ग्रांट तो संस्थान खर्च ही नहीं कर पाया। इसके अलावा यूनिवर्सिटी रिसर्च से लेकर लैब और फसल की वैराइटी पर हो रहा काम कतई संतोषजनक नहीं है। स्टाफ की कमी और कोर्सों में सीट पूरी न हो पाना भी आम हो चुका है।
रिसर्च को लेकर खड़े किए सवाल : कैग की रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि रिसर्च को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। यूनिवर्सिटी में बाहरी एजेंसियों द्वारा 100 रिसर्च प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग की गई, लेकिन इनमें से महज 49 ही पूरे हो पाए।
इसके अलावा 56 तकनीकी ऐसी रही, जिनको इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के लिए चिन्हित तो किया गया, लेकिन महज तीन को आरपीआर मिला। साथ ही, टिश्यू कल्चरल लैबोरेट्री बंद पाई गई। इसके पीछे कारण बताया गया कि साइंटिस्ट्स नहीं होने के चलते लैब बंद है।
कोर्स में सीटें तक नहीं भरी गर्इं : उपरोक्त के अलावा रिपोर्ट में लिखा है कि कई कोर्स में सीटें तक नहीं भरी गर्इं। एग्रीकल्चर कॉलेज और बेसिक साइंस व ह्यूमिनिटीज कॉलेज में पीजी डिप्लोमा और एमबीए कोर्सिज में एनरोलमेंट कम हुआ है। करीब 44 से 56 फीसदी के बीच में सीटें खाली पाई गई हैं। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्रों की चेकिंग के दौरान पाया गया कि  बिजाई योग्य जमीन का इस्तेमाल भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा।
फसल की नई वैराइटी को लेकर भी काम सतोषजनक नहीं: यह भी सामने आया है कि यूनिवर्सिटी में फसलों की नई वैराइटी को लेकर भी काम संतोषजनकर नहीं रहा और इसके चलते किसानों द्वारा फसलों की नई वैराइटी नहीं अपनाई गई। आधुनिक तकनीक फ्रंट लाआइन डेमोनस्ट्रेशन का इस्तेमाल नई वैराइटी पर नहीं हुआ, बल्कि इसको पुरानी वैराइटी को लेकर ही आजमाया गया।
हॉस्टलों की हालत खराब तो 6 कॉम्युनिटी रेडियो सेंटर भी नहीं बने : रिपोर्ट ये भी बताया गया कि स्टूडेंट्स के लिए बने हॉस्टलों की हालत भी कोई ज्यादा ठीक नहीं है। बेसिक सुविधाओं तक की भारी कमी है जिसके चलते उनको भारी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा मेंटेनेंस की दिक्कत लगातार बनी हुई है। संस्थान द्वारा 6 कॉम्युनिटी रेडियो सेंटर बनाए जाने थे और इसको लेकर 1.18 करोड़ की राशि भी जारी हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ।
– डॉ. रविंद्र मलिक
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