Senior Political Scientist Dr. Vinay Kumar Malhotra, आज समाज डेस्क: कितनी विचित्र बात है कि आर्थिक विकास एवं संपन्नता की दृष्टि से भारत में अग्रणी माना जाने वाला हरियाणा अपने ही एक विभाग (नागरिक संसाधन सूचना डिपार्टमेंट) की लापरवाही के कारण एक बिलो पॉवर्टी लाइन (बीपीएल) राज्य बन गया है क्योंकि इसकी कुल आबादी का 70% गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गई है। जो लोग बीपीएल मान लिए जाते हैं, उन्हें एक बीपीएल कार्ड दिया जाता है जिससे उन्हें कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुफ़्त मिलता है, इसीलिए इन कार्ड होल्डर्स को गरीबी रेखा से नीचे वाले लाभार्थी या बीपीएल बेनिफिशियरी कहा जाता है।
सरकार ने बीपीएल परिवारों की वृद्धि पर जताई चिंता
हाल ही में राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर ने इस बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की है मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बात करके कोई इसका कोई हल ढूंढने की मंशा जाहिर की है। प्रश्न पैदा होता है कि मात्र दो सालों में लगभग 75 लाख बीपीएल बेनिफिशियरीज कैसे बढ़ गए? या बेनिफिशियरीज में 44% की वृद्धि कैसे हो गई? इसके क्या कारण हैं? प्रथम यह सब तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने यानी डाटा में हेरफेर के कारण हुआ है जिसमें सरकारी कर्मचारियों का भी हाथ है। उन्हें इसके के लिए उत्तरदायी ठहरना चाहिए।
पहचान पत्र में खुद इनकम घोषित करते हैं परिवार
द्वितीय कारण परिवार पहचान पत्र, जिसके आधार पर बीपीएल कार्ड बनता है उसमें प्रार्थी अपनी वार्षिक आय स्वयं घोषित करता है (अर्थात सेल्फ डेक्लेरेशन)। सरकार से फायदा उठाने के लिए अधिकांश लोगों ने अपनी वार्षिक आय कम घोषित की और इसकी किसी ने जांच या सत्यापन करने की जरूरत नहीं समझी। सिटीजंस रिसोर्स इनफॉरमेशन डिपार्मेंट ने लोगों को अपनी वार्षिक आय, जो स्व-घोषित करने की छूट दे दी, इसी कारण लाभार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हो गई।
विधानसभा चुनाव की जल्दबाजी भी कारण
तृतीय, अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले बहुत से लोगों ने शिकायत की कि उनके परिवार पहचान पत्र सही नहीं बने हैं, उन्हें ठीक करवाने के लिए वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते हैं, उन्हें परेशानी होती है और काम तब भी नहीं होता। लोगों की इस शिकायत को दूर करने के लिए तथा वोटरों को खुश करने के लिए सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले परिवार पहचान पत्रों को सही करने के लिए जगह-जगह विशेष कैंप लगाए। जल्दबाजी में लगाए गए इन कैंपों में लोगों ने जैसे भी तथ्य प्रस्तुत किया वे उन्हें खुश करने के लिए स्वीकार कर लिए गए। कई लोगों ने अपनी वास्तविक आय से बहुत कम आए घोषित की और वही डाटा स्वीकार कर लिया गया।
बीपीएल कार्ड की शर्तें एवं लाभ
हरियाणा में बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए परिवार की सालाना आमदन रुपए 1.80 लाख या इससे से कम होनी चाहिए। इस के अतिरिक्त निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना भी जरूरी है:-
- आवेदक भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो।
- परिवार के किसी भी सदस्य के पास सरकारी नौकरी ना हो।
- ना ही परिवार के किसी सदस्य की वार्षिक आय रुपए 5 लाख से अधिक हो।
- कई अन्य शर्तें भी हैं जैसे की प्रार्थी के पास चो-पहिया वाहन तथा ए.सी. ना हो।
- शहर में 100 गज और गांव में 200 गज से अधिक का मकान ना हो।
- बीपीएल कार्ड धारकों को कई लाभ तथा सरकारी सुविधाएं मिलती हैं जैसे कि मुफ़्त राशन, लोन तथा कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं और सेवाओं का मिलना।
- लेकिन उपर्युक्त शर्तों के सत्यापन/जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, सारी समस्या की जड़ यही है।
असली लाभार्थी बाहर
हैरानी की बात यह भी है कि जिन निर्धन लोगों को वास्तव में बीपीएल कार्ड और उसका लाभ मिलना चाहिए था वह उनको नहीं मिला। ऐसे कई उदाहरण है जिन में संबंधित परिवार की आए वास्तविक आय से बहुत अधिक दिखाई गई है जिस कारण उन्हें गरीबी रेखा से नीचे होने के लाभ प्राप्त नहीं होते। उदाहरण स्वरूप 60 वर्षीय शीशपाल जो हिसार के बाहबलपुर गांव में रहने वाला एक मजदूर है की वार्षिक आय रुपए 3 लाख दिखाई गई है जबकि उसकी कोई आमदनी नहीं है और वह कई महीनों से बिस्तर पर लगा हुआ है। उसका इकलौता बेटा अभी काम सीख रहा है।
दफ्तरों के चक्कर लगाकर त्रस्त हुए लोग
परिवार पहचान पत्र में अपनी आमदनी को सही कराने के लिए वह सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर काट चुका है लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। इसी प्रकार सतरोध गांव, हिसार के एक अन्य निवासी अजीत वाल्मीकि की भी यही शिकायत है की कई चक्कर लगाने के बाद भी रिकॉर्ड में उसकी अधिक दिखाई गई आमदन सही नहीं की गई। वह किसी भी प्रकार की जांच तथा छानबीन के लिए तैयार है। कहने से अभिप्राय यह है कि जिन वास्तविक गरीबों और जरूरतमंदों के नाम बीपीएल की सूची में होने चाहिए उनके नहीं है और कई लोग जो संपन्न हैं, जिनके घर चोपहिया वाहन तथा ए.सी. लगे हुए हैं वे लिस्ट में है और बीपीएल कार्ड का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।
वृद्धि के दुष्परिणाम
बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या में एकदम वृद्धि से हरियाणा पर कई दुष्परिणाम पड़ेंगे जिन से बचने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे। सबसे बड़ा बुरा परिणाम हरियाणा की साख और प्रतिष्ठा पर पड़ेगा कि यह एक ऐसा राज्य है जहां गरीबी को खत्म नहीं किया जा रहा बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में वृद्धि की जा रही है। बीपीएल कार्ड धारकों की वृद्धि से सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ेगा, भ्रष्टाचार में वृद्धि होगी क्योंकि फायदा पहुंचाने वाले कर्मचारी तथा अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएंगे।
जिन्हें मिलना चाहिए उनके बजाय औरों को मिलेगा लाभ
एक अन्य दुष्परिणाम जो चिंता का विषय है वह है, सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जिन गरीबों को मिलना चाहिए, उन्हें नहीं मिलेगा और जिन्होंने गलत पात्रता दर्शाकर बीपीएल कार्ड हासिल किया है उन्हें फायदा हो जाएगा। यह स्थिति अन्यायपूर्ण होगी। बीपीएल डाटा में हेरा फेरी करने से राज्य की प्रगति की छवि धूमिल होगी, ऐसा लगेगा कि राज्य में निर्धनता को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जा रहे, इससे शासन के प्रति अविश्वास बढ़ेगा , गरीबों में असंतोष की भावना पैदा होगी।।
उपाय
हरियाणा सरकार को अपनी साख बचाने के लिए शीघ्र कदम उठाने होंगे और बीपीएल कार्ड धारकों की वार्षिक आमदन की जांच करने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। जो सरकारी विभाग तथ्य संग्रह करते हैं उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी ताकि वे आगे से ऐसी गलती ना करें। ऐसा सुनने में आया है कि सरकार शीघ्र ही कार्ड धारकों की वास्तविक आय की जांच करने के लिए एक निष्पक्ष जांच एजेंसी को नियुक्त करने वाली है। शिकायतकर्ता नागरिक अपने निकटवर्ती कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) में जाकर भी अपनी आमदनी ठीक करा सकते हैं। हरियाणा की वास्तविक प्रगति तभी होगी यदि डाटा या तथ्यों के साथ छेड़खानी ना की जाए और राज्य में निर्धनता की स्थिति का चित्रण सत्य पर आधारित हो।
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