Haryana Politics | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। हरियाणा में बीजेपी ने धीरे धीरे कांग्रेस को घेरने के दांव खेलने शुरू कर दिए। हालांकि अभी चुनाव की घोषणा में महीने भर से ज्यादा का समय है, लेकिन भाजपा ने सत्ता में वापसी के लिए पूरी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हालांकि अभी युवाओं और महिला वोटरों को रिझाने वाली घोषणाएं होनी शेष है। लेकिन मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी की किसानों का कर्जा माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा कर कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। क्योंकि हरियाणा का बड़ा वोट बैंक किसान है और वह बीजेपी से नाराज भी था।
इन घोषणाओं से किसानों की नाराजगी अगर काफी हद तक दूर होती है तो इसका बीजेपी को लाभ मिलेगा। हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसकी भी पूरी कोशिश किसानों को रिझाने की रहेगी। किसानों को रिझाने के साथ बीजेपी ने कांग्रेस को पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री की घोषणा करने की चुनौती दे एक तीर से दो निशाने साधे हैं।प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव सतीश पूनिया ने सोमवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस को सीधी चुनौती दी है कि वह पिछड़े वर्ग से सीएम घोषित करे।
भाजपा ने सोच समझ कर पिछड़े का दांव खेला है। कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी लगातार पिछड़ों की राजनीति कर बीजेपी को टारगेट किए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में संविधान खतरे में और आरक्षण समाप्त करने को मुद्दा बना कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया । अब जबकि साफ हो गया है कि विपक्ष ने झूठ बोल जनता में भ्रम फैलाया बीजेपी आक्रमक हो गई है। यही वजह है कि लोकसभा में पहले अनुराग ठाकुर ने फिर निशिकांत दुबे ने कांग्रेस जाति को लेकर जमकर हमले बोले।
सासंद दुबे ने राहुल के साथ प्रियंका गांधी को टारगेट कर कांग्रेस की दुगती रग पर हाथ रख दिया।कांग्रेस एक तरह से बीजेपी के जाल में फंसती दिख रही है।बीजेपी जानती है कि राहुल गांधी किसी कीमत पर एसटी वर्ग से सीएम घोषित करने की हिम्मत नहीं करेंगे।
इसी के चलते हरियाणा में बीजेपी अब जाति को मुद्दा बना कांग्रेस को चुनौती देने लगी है। बीजेपी की रणनीति है कि किसानों, युवाओं और महिलाओं को साधने के बाद कांग्रेस को जाति की राजनीति पर घेरा जाए। क्योंकि हरियाणा में जाति का कार्ड अगर चला तो कांग्रेस परेशानी में फंस जायेगी। बीजेपी ने ओबीसी चेहरे नायाब सिंह सैनी को सीएम बना चेहरा घोषित किया हुआ है। कांग्रेस ने अभी कोई चेहरा घोषित नहीं किया है और ना ही करेगी।
लेकिन पूरे प्रदेश में संदेश है कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही कांग्रेस के सीएम होंगे। भाजपा ने जो दांव चला है अगर वह चला तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो जायेगा। एक तो पिछड़े वर्ग में संदेश जाएगा कि कांग्रेस उनके पक्ष में नहीं है।दूसरा जाट वोट भी भ्रमित होगा। कांग्रेस की पूरी उम्मीद जाट और दलित वोटरों पर ही है। भाजपा भी जानती है कि जाट और दलित वोट अगर बंटा तो उसे ताकत मिलेगी।
किसान और जाटों को तो एमएसपी देने और कर्जा माफी से साधने की पूरी तैयारी बीजेपी ने कर ली है।जातीय राजनीति से पिछड़ों को साधने में बीजेपी सफल रहती है तो फिर तीसरी बार सरकार बना सकती है।कांग्रेस में अभी आज के दिन असल झगड़ा हुड्डा गुट और शैलजा गुट के बीच ही है। दोनों की कुर्सी को लेकर अपनी अपनी दावेदारी है।हुड्डा जाट समुदाय से आते हैं तो शैलजा एसटी से।दोनों का अपना अपना वोट बैंक है।बीजेपी दोनों नेताओं की खींचतान में अपना फायदा तलाश रही है।
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