ओम प्रकाश चौटाला: फर्श से अर्श, अब फिर फर्श

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Om Prakash Chautala
Om Prakash Chautala

आज समाज डिजिटल, अंबाला: भ्रष्टाचार से जुडे़ एक और मामले में ओम प्रकाश चौटाला को सजा सुनाई गई है। इस बार मामला आय से अधिक संपति का था। कोर्ट के फैसले के अनुसार अब उन्हें 4 साल जेल होगी और 50 लाख का जुमार्ना भी है। उनकी 4 संपत्तियों को जब्त करने के निर्देश भी हैं। भ्रष्टाचार, कोर्ट और जेल प्रदेश के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के लिए नई बात नहीं है, बल्कि इससे उनका चोली-दामन का साथ है। वर्ष 2012 में ही उन्हें जेबीटी भर्ती घोटाला में दोषी करार देते हुए 10 साल का कारावास काटा था।

7 बार विधायक, 5 बार सीएम

ओम प्रकाश चौटाला की हरियाणा की राजनीति में अहम भूमिका रही है। या यूं कहें कि सत्ता उनके आसपास ही घूमती रही है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। ओम प्रकाश चौटाला 7 बार विधायक रह चुके हैं। जबकि पांच बार मुख्यमंत्री बने हैं। चौटाला पूर्व मुख्यमंत्री और उपप्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे हैं। माना जाता रहा है कि ओम प्रकाश चौटाला ने जब भी हरियाणा में सरकार का गठन किया। उनका एकछत्र राज रहा। सरकार बेशक गठबंधन की हो या अन्य। चौटाला की मर्जी के बिना किसी भी विधायक को बयान देने का अनौपचारिक अधिकार नहीं था। ओम प्रकाश चौटाला के दो पुत्र अजय चौटाला और अभय चौटाला हैं। उनकी एक पुत्री भी है, जिनका परिचय कम ही लोगों को है।

छोटे कार्यकालों से बढ़ते गए चौटाला

चौटाला 5 बार प्रदेश के सीएम बने हैं। 2 दिसंबर 1989 को ओम प्रकाश चौटाला पहली बार सीएम बने। इस पद पर वे एक वर्ष भी पूरा नहीं कर पाए और 22 मई 1990 को पद छोड़ना पड़ा। इसके केवल दो महीने बाद ही यानी कि 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद शपथ ली। इस बार मुख्यमंत्री रहे बनारसी दास गुप्ता को पद से हटा दिया था। इस पद से चौटाला को भी पांच दिन बाद ही त्यागपत्र देना पड़ा। 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार चौटाला ने सीएम पद संभाला। इसके दो हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

1993 के बाद कार्यकाल अवधि भी बढ़ी

Om Prakash Chautala
Om Prakash Chautala

1993 में नरवाना से उपचुनाव जीता। 1996 में लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) का गठन किया। 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया और हरियाणा की 10 में से 5 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया। तब कहीं जाकर इनके दल को मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया, जो अब तक बरकरार है। हालांकि परिवार के दो राजनीतिक हिस्से हो चुके हैं। 24 जुलाई 1999 में चौटाला ने चौथी बार सीएम पद संभाला। दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करा दी और विधानसभा चुनाव के बाद दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उसके बाद चौटाला पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे।

बनवास 17 साल: निकाय, पंचायत और अगले चुनाव भी गए

पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला 2024 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने की उम्मीद लगा रहे थे। इस सजा के बाद उनका यह सपना भी धूमिल हो गया है। इसके साथ-साथ इंडियन नेशनल लोकदल के कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी धक्का लगा। 2005 तक प्रदेश की सत्ता संभाल रही इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी 17 वर्ष से सत्ता के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। इसके अलावा कोर्ट का फैसला भी उस समय आया जब प्रदेश में निकाय चुनाव होने वाले हैं। अगस्त-सितंबर में पंचायत चुनाव हैं। इस समय इनेलो कार्यकर्ताओं में मायूसी का माहौल है।

चौधरी देवी लाल के बाद चली गई सत्ता

2000 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल ने 47 सीटें जीतीं। इस समय भाजपा से गठबंधन था। भाजपा को केवल 6 सीटें मिली थीं। 2001 में ताऊ देवीलाल के देहांत का नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा। 2004 में इनेलो ने गठबंधन तोड़ लिया। 2005 चुनाव में केवल 9 सीटें रह गर्इं। 2005 के बाद दोनों का फिर गठबंधन हुआ। ये लोकसभा चुनाव तक रहा। 2009 में इनेलो को 31 सीटें मिलीं। 2013 में जेबीटी भर्ती मामले में चौटाला और अजय चौटाला को सजा होने के कारण 2014 चुनाव में 19 सीटें ही मिलीं।

2019 में इनेलो में दोफाड़

Om Prakash Chautala and Dushyant Chautala
Om Prakash Chautala and Dushyant Chautala

2019 में चुनाव से पहले इनेलो के घर में ही फूट हो गई, जिसका असर उनकी राजनीति पर पड़ा। अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने अलग पार्टी जननायक जनता पार्टी बना ली। इससे इनेलो को नुकसान हुआ। पार्टी बाहरी तौर पर तो टूटी ही संगठनात्मक स्तर पर टूट गई। 2019 के चुनाव में केवल अभय चौटाला ही अपनी ऐलनाबाद सीट जीत पाए।

अब अभय के लिए राह नहीं आसां

पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाल जेल जाएं या न जाएं, लेकिन अभय चौटाला के सामने फिर से पार्टी के पुराने दिन लौटाने की चुनौती रहेगी। पार्टी संगठन को मजबूत कर बड़े चौटाला के रुतबे का फायदा उठाना होगा। हालांकि सजा पूरी होने के बाद चौटाला कार्यकतार्ओं के संपर्क में रहे। प्रदेश में आम आदमी पार्टी की मजबूत दस्तक के बाद 2024 के चुनाव में नए समीकरण बनेंगे।

कुछ ऐसे भी थे चौटाला के समर्थक

अदालत परिसर में हिंसा से बेपरवाह न्यायाधीश ने सजा का आदेश पढ़कर सुनाया। उधर, चौटाला समर्थकों ने अदालत परिसर में पथराव किया, देसी बम फेंके और पुलिस से झड़प की। जवाब में पुलिस को कानून व्यवस्था बनाने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।

जेबीटी भर्ती घोटाले में काट चुके सजा

हरियाणा के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने हरियाणा में 3,206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की शिकायत करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। ओम प्रकाश चौटाला पर आरोप था कि उन्होंने प्रत्येक शिक्षक से भर्ती के लिए तीन से चार लाख रुपये लिए। इस मामले में चौटाला ने 9 साल से ज्यादा का समय जेल में काटा। कोरोना काल में उनकी सेहत देखते हुए सजा के 2 महीने पूरे होने से पहले ही 2 जुलाई 2021 को उन्हें रिहा कर दिया गया।

चौटाला 10वीं पास करने का सपना, जेल में हुआ था पूरा

देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने पिता के जेल जाने के कारण अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने का उन्हें हमेशा मलाल रहा। जेबीटी भर्ती घोटाले में जब वे तिहाड़ जेल में बंद थे तो उन्होंने 10वीं पास करने का सपना पूरा किया। वे पूछने पर बताते थे कि 10वीं पास करना उनका सपना था। उन्होंने 10वीं पास करने को आत्म-सम्मान से जोड़ लिया था। जेल में दिन-रात पढ़ाई की और परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल रहे। वह 8वीं पास थे, उनका सपना था कि 10वीं की पढ़ाई पूरी करें। अभिषेक बच्चन की फिल्म 10वीं 87 वर्षीय चौटाला के इसी जज्बे पर आधारित है।

ये है चौटाला का संक्षिप्त जीवन परिचय

Om Prakash ChautalaOm Prakash Chautalaपूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 को सिरसा के गांव चौटाला में हुआ था। चौटाला गांव के निवासी होने के कारण ही उन्होंने अपना सरनेम चौटाला रखा। यही कारण है कि आज पूरा कुनबा ही इस नाम से पहचाना जाता है। यहां बात करते हैं उनकी संपत्ति की। ओम प्रकाश चौटाला के पास हजार करोड़ की संपत्ति होने का दावा किया जाता रहा है। सीबीआई ने चौटाला परिवार के खिलाफ 1467 करोड़ रुपये की संपत्ति मामले में चार्जशीट दायर की थी। एक अनुमान के मुताबिक चौटाला परिवार की संपत्ति 1467 करोड़ रुपये है। इस संपत्ति में 80 से ज्यादा तो केवल प्रॉपर्टी ही हैं।

यह है चौटाला का कुनबा

Om Prakash Chautala's sons Ajay and Abhay Chautala
Om Prakash Chautala’s sons Ajay and Abhay Chautala

ओम प्रकाश चौटाला का विवाह स्नेह लता से हुआ। अगस्त 2019 में वे देह त्याग गई। उनके दोनों बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला राजनीति में सक्रिय हैं। उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला की पत्नी का नाम नैना चौटाला है और छोटे बेटे अभय चौटाला की पत्नी का नाम कांता चौटाला है। ओम प्रकाश चौटाला की तीन बेटियां भी हैं, जिनका नाम सुचित्रा, सुनीता और अंजलि हैं। उनके तीन भाई रणजीत सिंह चौटाला, प्रताप सिंह चौटाला और जगदीश कुमार चौटाला हैं। रणजीत चौटाला फिलहाल हरियाणा सरकार में बिजली मंत्री हैं।

परिवार का राजनीतिक करियर

चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला 2009 में डबवाली से विधायक चुने गए थे। छोटा बेटा अभय ऐलनाबाद से विधायक है जो अक्तूबर 2014 मार्च 2019 तक हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला इस समय हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं। 2018 में पारिवारिक विवाद के चलते दुष्यंत को इनेलो से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने जननायक जनता पार्टी बनाई।

ये भी महत्वपूर्ण

  • भारतीय राजनीति में ओम प्रकाश चौटाला ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया।
  • पूर्व उपप्रधानमंत्री देवी लाल किसी मामले में बेटे ओम प्रकाश चौटाला से नाराज थे, लेकिन पिता का प्यार उस समय जागा जब 2 दिसंबर 1989 को उन्हें उपप्रधानमंत्री का पद मिला। तब उन्होंने चौटाला को हरियाणा के मुख्यमंत्री बनाया।
  • हरियाणा सिविल सेवा में भी फर्जी भर्ती कराने पर मामला भी चौटाला पर दर्ज है।
  • ओम प्रकाश चौटाला हमारे देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनको किसी आरोप में दोषी पाया गया है। अन्य मामले इनके बाद के हैं।
  • एनडीए गठबंधन को सांपनाथ और यूपीए गठबंधन को नागनाथ कहकर पुकारने वाले चौटाला आज खुद मुश्किल में हैं।
  • 1996 में न्यायाधीश के एन सैकिया आयोग ने चौटाला को अमीर सिंह हत्याकांड में सह अभियुक्त के तौर पर अंकित थे।
  • नए साल की शुरुआत अपने जन्मदिन से करने वाले चौटाला को 2013 का नया साल ले डूबा। इस जनवरी में उन्हें सजा सुनाई गई थी।

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