Haryana News : चंडीगढ़। सांसद (MP ) कार्तिकेय शर्मा (Kartikeya Sharma) ने सदन में मुद्दा उठाया कि देश में लीथियम आयन बैटरी (Lithium Ion Battery), सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी (Semiconductor Technology), कंप्यूटिंग (Computing) आदि जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों (Industry) के लिए आवश्यक भारी धातुओं (Metal) के महत्वपूर्ण और वित्तीय रूप से व्यवहार्य भंडार हैं।
साथ ही पूछा कि क्या देश में कोबाल्ट (Cobalt), निकेल (Nickel), लिथियम (Lithium), नियोडिमियम (Neodymium) आदि जैसी महत्वपूर्ण धातुओं का खनन और उत्पादन होता है। यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और आगामी कुछ वर्षों में इन धातुओं की अनुमानित मांग कितनी है और ऐसे संसाधनों की खोज और खनन के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
इसके जवाब देते हुए कोयला और खान मंत्री (Minister of Coal and Mines) जी. किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy) ने बताया कि भारत में कुछ भारी धातुओं और महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार हैं जो ली-आयन बैटरी, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी और कंप्यूटिंग जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए आवश्यक हैं। तथापि, इन भंडारों की महत्ता और वित्तीय व्यवहार्यता की सीमा भिन्न-भिन्न हैं। ये भंडार पहुंच और निष्कर्षण व्यवहार्यता के अलग-अलग स्तरों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
लिथियम भारत ने कर्नाटक एवं जम्मू और कश्मीर राज्यों में लिथियम भंडारों की खोज की है। कोबाल्ट और निकल कोबाल्ट और निकल सामान्यत: तांबा अयस्कों के साथ पाए जाते हैं। ओडिशा और झारखंड में छोटे निक्षेप मौजूद हैं। भारत के भंडार अपेक्षाकृत कम हैं। उन्होंने बताया कि दुर्लभ मृदा तत्व (REE) भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और केरल राज्यों में दुर्लभ मृदा तत्वों के महत्वपूर्ण भंडार हैं। केरल में मोनाजाइट रेत REE से विशेष रूप से समृद्ध है।
ग्रेफाइट (Graphite) भारत में उच्च गुणवत्ता वाले ग्रेफाइट के पर्याप्त भंडार हैं। ग्रेफाइट अरुणाचल प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु में पाया जाता है। भारत में कुछ महत्वपूर्ण धातुओं का खनन और उत्पादन होता है, फिर भी यह अपनी मांग को पूरा करने के लिए अभी भी काफी हद तक आयात पर निर्भर करता है।
देश में ग्रेफाइट, राक फास्फेट (rock phosphate) और टिन अयस्क (tin ore) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के 54 खनन पट्टे हैं जिनका ब्यौरा ये है कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की संभावना वाले क्षेत्रों के गवेषण पर विशेष बल देते हुए महत्वपूर्ण खनिजों/धातुओं के गवेषण में लगा हुआ है और यह देशभर में गवेषण परियोजनाओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है।
GSI ने महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के लिए अपनी गवेषण परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि की है जोकि वर्ष 2021-22 में 118 से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 196 हो गई है। MMDR अधिनियम, 2015 में संशोधन के बाद से विभिन्न कट आफ और विभिन्न औसत ग्रेड पर महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के लिए GSI द्वारा संवर्धित संचयी संसाधन का ब्यौरा ये है कि महत्वपूर्ण और गहराई में स्थित खनिजों के गवेषण को बढ़ावा देने के लिए गहराई में स्थित 29 खनिजों के लिए गवेषण अनुज्ञप्ति नामक एक नई खनिज रियायत शुरू की गई है जिनमें से कई महत्वपूर्ण खनिज हैं जो अनुज्ञप्तिधारक को इन खनिजों के लिए टोही और पूर्वेक्षण कार्य करने की अनुमति देगा। GSI ने राज्य सरकारों को गवेषण अनुज्ञप्ति के रूप में नीलामी के लिए 20 ब्लाक सौंपे हैं जिनमें से 12 ब्लाक राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों द्वारा नीलामी के लिए अधिसूचित किए गए हैं।
गवेषण में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए खान मंत्रालय ने 23 निजी गवेषण एजेंसियों (एनपीईए) को अधिसूचित किया है। ये एजेंसियां राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास (NMET) से वित्त पोषण के माध्यम से गवेषण परियोजनाएं शुरू कर रही हैं। जहां तक ऐसे संसाधनों के खनन का संबंध है, केंद्र सरकार ने MMDR अधिनियम, 1957 की अनुसूची-1 के भाग घ में उल्लेखित 24 महत्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के लिए ब्लाकों की विशेष रूप से नीलामी करने का अधिकार केंद्र सरकार को देने के लिए वर्ष 2023 में “खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957” में संशोधन किया है।
अब तक लिथियम, दुर्लभ मृदा तत्व (REE), ग्रेफाइट, वैनेडियम, निकल, क्रोमियम, ग्लौकोनाइट, प्लैटिनम तत्व समूह (PGE) और फॉस्फोराइट जैसे खनिजों वाले 14 महत्वपूर्ण खनिज ब्लाकों (खनन पट्टा-2, संयुक्त अनुज्ञप्ति-12) की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। ये ब्लाक बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में हैं। इससे पहले, राज्य सरकारों ने महत्वपूर्ण खनिजों के 30 ब्लाकों की नीलामी की थी। Haryana News