चंडीगढ़। हरियाणा के सभी 22 जिलों और 34 उप-मंडलों में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (डीएलएसए) के माध्यम से राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें वाद पूर्व प्रकरण और लंबित दोनों न्यायिक मामलों के लिए 165 बेंचों का गठन किया गया।
यह आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के तत्वावधान एवं नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (हालसा) ने मुख्य संरक्षक श्री शील नागु, मुख्य न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के नेतृत्व और कार्यकारी अध्यक्ष श्री अरुण पल्ली, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मार्गदर्शन और सम्मिलित प्रयासों के तहत किया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित करने का उद्देश्य वादकारियों को अपने विवादों को बिना किसी देरी के सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए एक मंच प्रदान करना है, जबकि लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है और लोक अदालत में समझौता होने पर न्याय शुल्क वापस करने का प्रावधान है।
विभिन्न श्रेणियों जैसे व्यवहारिक, वैवाहिक, मोटर दुर्घटना दावे, बैंक उगाही, चेक बाउंस, वाहन चालान, समझौता योग्य आपराधिक मामलों आदि सहित विभिन्न श्रेणियों के मामलों की श्रृंखला, जिनमें वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्रों में कार्यरत स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं) के मामले भी शामिल हैं, जिनकी संख्या 4,25,000 से अधिक है, को आपसी सहमति से निपटाने के लिए लोक अदालत पीठों को भेजा गया।
सूर्य प्रताप सिंह, जिला एवं सत्र न्यायाधीश-एवं-सदस्य सचिव, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि आज की राष्ट्रीय लोक अदालत, जिसमें पूर्व लोक अदालत बैठकें भी शामिल थीं, में लगभग 3,50,000 मामलों, वाद पूर्व और अदालत में लंबित दोनों प्रकार के मामलों का निपटारा किया गया।
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