हिसार, पानीपत, रेवा़ड़ी, करनाल समेत करीब आधा दर्जन जिलों में डेंगू का प्रकोप
चंडीगढ़: स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों दागों के बावजूद भी हरियाणा में डेंगू के नए मामले नियंत्रित नहीं हो पा रहे हैं और डेंगू की रोकथाम के लिए कोई अतिरिक्त कदम नहीं उठाया तो प्रदेश में भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। इसी कड़ी में सामने आया है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक-दूसरे को आदेश देने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में यह भी बता दें कि जिस तरह से प्रदेश में डेंगू के मामले बड़े हैं उनकी तुलना में फॉगिंग कम की जा रही है। प्रदेश के पंचकूला जिले में कुल मामलों में से अब तक करीबन एक तिहाई रिपोर्ट हुए हैं जो स्थिति की भयावहता को दर्शाता है। इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाले कई जिलों में डेंगू के केस लगातार रिपोर्ट हो रहे हैं जिसके चलते स्थिति चिंताजनक हो गई है। हिसार व पंचकूला डेंगू का हॉट स्पॉट सेंटर बन गए हैं।। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हिसार, पंचकूला, गुरुग्राम, पानीपत करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत व कुरुक्षेत्र जिले हैं।
10 वर्ष में साल 2021 में सबसे ज्यादा 11836 केस आए
साल 2015 में प्रदेश में कुल 9921 डेंगू के केस आए थे। वहीं साल 2016 में 2494 केस रिपोर्ट हुए। इसके बाद 2017 में 4550 और 2018 में नए मामलों में व्यापक स्तर पर कमी दर्ज की गई। इस साल बीमारी के कुल 1936 मामले रिपोर्ट हुए। फिर साल 2020 में 1377 केस कंफर्म हुए। इसके बाद साल 2021 में डेंगू के मामलों में कई गुना इजाफा हुआ है और एक साल की अवधि में 11836 मामले कंफर्म हुए। फिर अगले साल 2022 में 8996 नए केस आए। 2023 में 8081 मामले आ चुके हैं। इस साल अब तक 5600 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हो चुके हैं।
पंचकूला, हिसार और कर्नल समेत करीब आधा दर्जन मामलों में स्थिति चिंताजनक
अब तक के विभागीय आंकड़ों के अनुसार पंचकूला और हिसार समेत प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जहां पर निरंतर डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। अब तक पंचकूला में अब तक 1300, हिसार में 517, करनाल में 479, सोनीपत में 449, रेवाड़ी में 369, पानीपत में 291 और कुरुक्षेत्र में 260 मामले रिपोर्ट हुए हैं। बाकी कैसे अन्य जिलों में सामने आए हैं। आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि अब तक रिपोर्ट हुए कुल मामलों में से पंचकूला हिसार सोनीपत करनाल और रेवाड़ी में 50 फीसद से ज्यादा मामले रिपोर्ट हुए हैं ।
बीमारी से 10 साल में हर साल औसतन 5 मौत
हरियाणा में बीमारी से इस साल अब तक 5 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि ज्यादा लोगों की मौत बीमारी से हुई है लेकिन विभाग द्वारा कुछ मौत को संदिग्ध मौत की कैटेगरी में रखा है। वहीं ये भी बता दें कि हरियाणा में पिछले साल 2022 में बीमारी से सबसे ज्यादा 18 लोगों की मौत हुई थी वहीं 2015 में बीमारी ने 13 लोगों की जान ले ली। 2016 से लेकर साल 2020 तक 5 साल की अवधि में बीमारी से कोई मौत नहीं हुई है। साल 2015 से लेकर 2023 तक 9 साल की अवधि में कुल 44 लोगों की मौत हई है। इस लिहाज से हर साल औसतन 5 से ज्यादा लोगों की मौत बीमारी के चलते हई है।
महामारी की श्रेणी में डेंगू
हरियाणा में प्रचलित सभी चार वीबीडी को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत 31 मार्च 2027 तक अधिसूचित किया गया है और सभी निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अधिसूचना जारी कर दी गई है कि वे प्रत्येक मामले की जानकारी पता लगने के 24 घंटे के भीतर स्वास्थ्य अधिकारियों को दें। मलेरिया के निदान के लिए सभी जिलों में घर-घर जाकर बुखार की निगरानी तेज कर दी गई है। मई से अक्टूबर तक हर महीने की 1 से 10 तारीख तक मलेरिया के लिए बुखार के मामलों की जांच के लिए सभी गांवों में रैपिड फीवर सर्वे किया गया। सभी जिलों में डेंगू की जांच को मजबूत किया गया है। सीएचसी/पीएचसी स्तर पर भी रक्त के नमूने लेने शुरू कर दिए गए हैं, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
अब तक 128676 सैंपल भरे गए
प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि 30 अक्टूबर 2024 तक कुल 35674860 घरों का दौरा किया गया और 179875 घरों में लारवा पाया गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक हरियाणा में 128676 सैंपल लिए गए हैं। ये भी बता दें कि अगर किसी मरीज को प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट कराना है तो उसकी कीमत सरकार ने 600 रुपये तय कर रखी है। सरकारी अस्पताल में डेंगू का टेस्ट मुफ्त किया हुआ है, अगर किसी मरीज को प्लेटलेट्स की कमी होती है तो उसकी कीमत 11 हजार रुपये है. वहीं, सरकारी अस्पताल में मुफ्त में मिलती है।
राज्य में डेंगू जांच की 27 लैब
राज्य में कुल 27 डेंगू जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, जिनमें से प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अनुशंसित डेंगू जांच (एलिसा आधारित एनएस1/आईजीएम) के लिए अधिकतम 600 रुपये शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों के लिए निःशुल्क सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में, राज्य में कुल 7 प्लेटलेट एफेरेसिस सुविधाएं कार्यरत हैं (सिविल अस्पताल पंचकूला, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद, पीजीआईएमएस रोहतक, केसीजीएमसी करनाल और बीपीएसजीएमसी खानपुर कलां, सोनीपत)। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा के मूल निवासी डेंगू रोगियों को निजी ब्लड बैंकों से निःशुल्क एसडीपी प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है, जिसका खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। राज्य के निजी अस्पतालों में कुल 72 एफेरेसिस मशीनें कार्यरत हैं। डेंगू मरीजों के लिए सिविल अस्पतालों में 196 वार्ड और 1022 बिस्तर आरक्षित रखे गए हैं।