International Gita Mahotsav: हरियाणा असीम संभावनाओं का प्रदेश है, देश का सिरमौर : जगदीप धनखड़

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International Gita Mahotsav: हरियाणा असीम संभावनाओं का प्रदेश है, देश का सिरमौर : जगदीप धनखड़
International Gita Mahotsav: हरियाणा असीम संभावनाओं का प्रदेश है, देश का सिरमौर : जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति ने धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में की शिरकत
International Gita Mahotsav (आज समाज) कुरुक्षेत्र: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि नायब सिंह सैनी जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं, जिनका चरित्र बेदाग है, वे लगनशील हैं और ऊंची सोच के धनी व्यक्ति हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नायब सिंह सैनी निश्चित रूप से नायाब काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रांत असीम संभावनाओं का प्रदेश है, जो हमारे देश का सिरमौर है। यहा की प्रतिभा हर क्षेत्र में अभूतपूर्व है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में प्रत्येक हरियाणवी का हुनर और भी उभरेगा।

जीवन में साथी या सारथी बहुत निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हरियाणा प्रदेश को जनता का साथी और सारथी नायब सिंह सैनी के रूप में मिला है। उपराष्ट्रपति ने आज कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिरकत की और गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी उपस्थित थे।

हमारे लिए राष्ट्र ही सर्वोपरि

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका और उनकी पत्नी का हरियाणा से बेहद गहरा नाता है। आज इस पवित्र भूमि, जहां भगवान कृष्ण ने अर्जुन को वह उपदेश दिया जो हम सबके लिए रास्ता दिखाने वाला उपदेश है, यहां आना उनके लिए एक ऐसा क्षण है जिसे वे सदैव स्मरण रखेंगे। जगदीप धनखड़ ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता की जन्मस्थली धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की भूमि से संदेश दिया कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र प्रेम में कोई आकलन की बात नहीं है, यह शुद्ध और शत-प्रतिशत होना चाहिए। विकसित भारत अब सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है, अर्जुन की भांति एकाग्रता और दृढ़ता को अपनाकर ही इस लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है।

सिर्फ लक्ष्य पर रखनी होगी नजर

उन्होंने कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें गीता से अर्जुन की एकाग्रता और दृढ़ता को अपनाना होगा। जिस प्रकार अर्जुन की नजर मछली पर नहीं थी, मछली की आंख पर भी नहीं थी, उसकी नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर थी, उसी प्रकार, हमें भी अपनी नजर सिर्फ लक्ष्य पर रखनी होगी, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

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