Punjab-Haryana High Court: हरियाणा सरकार के रिजर्वेशन क्लासिफिकेशन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

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Punjab-Haryana High Court: हरियाणा सरकार के रिजर्वेशन क्लासिफिकेशन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती
Punjab-Haryana High Court: हरियाणा सरकार के रिजर्वेशन क्लासिफिकेशन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

चमार महासभा ने दायर की याचिका, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा प्रदेश चमार महासभा ने सरकार के आरक्षण वर्गीकरण के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। याचिका में तर्क दिया गया कि उप-वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है, वह भी पुराने, अपर्याप्त और संदिग्ध आंकड़ों जैसे कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 और परिवार पहचान पत्र पर आधारित है।

याचिकाकर्ता निकाय ने 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना और 16 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट को मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए रद्द करने के निर्देश देने की मांग की है। पिछले साल 2024 नवंबर में हरियाणा सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर दो श्रेणियों, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति को अधिसूचित करके कोटे के भीतर कोटा अधिसूचित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मुख्य तर्क गुणात्मक आंकड़ों पर आधारित नहीं है।

हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी बनाया प्रतिवादी

जस्टिस अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा प्रदेश चमार महासभा द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ ने मामले में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।याचिकाकर्ता एसोसिएशन 13 नवंबर, 2024 की अधिसूचना से व्यथित हैं, जिसके माध्यम से हरियाणा राज्य द्वारा सरकारी सेवाओं में आरक्षण प्रदान करने के लिए एससी में वर्गीकरण/उप-वर्गीकरण किया गया है।

डाटा पर उठाए सवाल

आयोग द्वारा यह रिपोर्ट 1 अगस्त, 2024 को पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य शीर्षक वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में तैयार की गई थी। याचिकाकर्ता संघ द्वारा यह तर्क दिया गया है कि आयोग द्वारा दो सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट किसी भी मात्रात्मक डेटा द्वारा समर्थित नहीं है।

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