Haryana Assembly Elections, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली:हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए बीजेपी इस बार सोशल इंजीनियरिंग पर पूरा फोकस रखेगी। पड़ोसी राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी के रणनीतिकार पूरी सजगता बरत रहे हैं। हालांकि बीजेपी ने जाट बनाम गैर जाट की राजनीति को आगे कर पिछले दो चुनाव जीते, लेकिन इस बार पार्टी ने जाट चेहरों को आगे करना शुरू कर दिया।
राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष रहे सतीश पूनिया को हरियाणा की जिम्मेदारी दे इसकी शुरूआत कर दी। पूनिया जाट समुदाय से आते हैं और लोकप्रिय जमीनी नेता हैं।आज से उन्होंने राज्य का दो दिवसीय दौरा भी शुरू कर दिया। हिसार,रोहतक के बाद गुरुवार को वह झज्जर में कार्यकतार्ओं से मिलेंगे। बीजेपी संगठन में पूनिया अकेले जाट नेता हैं जिन्हें प्रभारी बनाया गया है। राजस्थान में पार्टी आलाकमान ने उन्हें ऐसे समय पर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जब विधानसभा चुनावों की घोषणा होने वाली थी।
कांग्रेस ने जाटों की उपेक्षा को बड़ा मुद्दा बना जाट बाहुल्य इलाकों में बीजेपी को हराया। फिर लोकसभा में 5 से 6 सीट जाट बाहुल्य इलाकों की जीती। बीजेपी के सामने अब चुनौती केवल जाटों की ही नहीं है बल्कि पीडीए चुनौती बनता जा रहा है। कांग्रेस और सपा ने लोकसभा चुनावों में पिछड़ों,दलितों और अल्पसंख्यकों का एक गठजोड़ बना राजनीति शुरू की है। उत्तर प्रदेश में प्रयोग सफल रहा। हरियाणा में भी दलितों,पिछड़ों और मुसलमानों का वोट कांग्रेस के हिस्से में आया है।इसके चलते बीजेपी के लिए अब चुनौती बढ़ गई है। हालांकि कांग्रेस के लिए हरियाणा में सब कुछ आसान नहीं है।एक तो समाजवादी पार्टी ने हिस्से दारी मांगी है।10 से 11 सीट पर सपा की नजर है।खास तौर पर यादव बाहुल्य इलाकों की।
कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है।सपा को कांग्रेस नाराज कर नहीं सकती है।इसके साथ कांग्रेस में कई गुट हैं।पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तो अपनी दावेदारी है ही शैलजा,रणदीप सिंह सुरजेवाला, बीरेंद्र सिंह जैसे नेताओं की अपनी राजनीति है।कांग्रेस जाट राजनीति के भरोसे बीजेपी को टक्कर देगी।यही सब भांप अब बीजेपी ने अनुभवी जाट नेता पूनिया को संगठन की जिम्मेदारी दी है। पूनिया कहने को जाट जरूर हैं लेकिन उनकी सभी वर्गों में पकड़ है।
बीजेपी के पास किरण चौधरी, शुर्ति चौधरी, रणजीत सिंह चौटाला जैसे जाट नेता हैं जो अपनी सीटों के अलावा अगल बगल की सीट पर असर डाल सकते हैं। बीजेपी के पक्ष में अच्छी बात यह भी है कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी इस बार अलग चुनाव लड़ेगी।इससे जाट वोटर बंट सकता है।
भाजपा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ओबीसी हैं, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं। इस हिसाब से बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग में कांग्रेस से मजबूत दिखती है। फिर पूनिया अपने तरीके से हर वर्ग को साधेंगे। हरियाणा का चुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए खासा महत्वपूर्ण हैं।इस राज्य का चुनाव परिणाम केंद्र की राजनीति पर असर डालेगा।
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