Haryana Congress News : हरियाणा में राहुल के करीबियों के सामने गुटबाजी साधने की चुनौती

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Haryana Congress News : हरियाणा में राहुल के करीबियों के सामने गुटबाजी साधने की चुनौती
Haryana Congress News : हरियाणा में राहुल के करीबियों के सामने गुटबाजी साधने की चुनौती
  • हरियाणा छानबीन समिति का संदेश : टिकटों के चयन में किसी गुट को हावी नहीं होने दिया जाएगा
  • हरियाणा में सीएम चेहरा घोषित नहीं होगा

Haryana Congress News | अजीत मेंदोला | नई दिल्ली। हरियाणा के लिए गठित की गई छानबीन समिति से पार्टी ने संदेश देने की कोशिश की है कि टिकटों के चयन में किसी गुट को हावी नहीं होने दिया जाएगा। समिति के अध्यक्ष बनाए गए अजय माकन और बाकी सदस्यों को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। हरियाणा में पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को साधना है। क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस कई गुटों में बंटी हुई है।

झगड़ा टिकटों से लेकर मुख्यमंत्री के चेहरे तक है। हालाकि पार्टी सूत्रों की माने तो हरियाणा में कांग्रेस किसी को चेहरा घोषित नहीं करेगी। ऐसे में अब सबकी नजरें टिकट बंटवारे पर रहेगी। हरियाणा में आज के दिन में कांग्रेस की तरफ से सबसे ताकतवर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में हुड्डा को खुली छूट दी गई थी। 9 टिकटों में एक दो को छोड़ बाकी हुड्डा समर्थक थे।

जीती हुई पांच सीटों में चार हुड्डा के करीबियों की मानी जाती है। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि हुड्डा आधी से ज्यादा सीटों पर दावेदारी टोकेंगे। लेकिन वहीं कुछ का कहना है लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद राहुल गांधी ताकतवर हुए हैं। जिस रास्ते पर राहुल अभी चल पड़े उसमें वह कुछ भी फैसला कर सकते हैं। राहुल दलित और पिछड़ों की राजनीति को खुल कर आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में उसका असर निश्चित तौर पर हरियाणा में पड़ सकता है।

भाजपा की तरफ से कांग्रेस को चुनौती भी दी जाने लगी है कि हरियाणा में पिछड़ी जाति में से किसी को सीएम घोषित करके दिखाए। हरियाणा के प्रभारी महासचिव सतीश पूनिया तो कह भी चुके हैं बीजेपी ने ओबीसी के नायब सैनी को सीएम बना चुनाव के लिए चेहरा भी घोषित किया हुआ है। राहुल पिछड़ों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो अब मौका दें। बीजेपी की चुनौती और राहुल की पिछड़ों की राजनीति के चलते सांसद शैलजा समर्थकों की उम्मीदें भी जग गई हैं।

हरियाणा में चर्चा ने जोर भी पकड़ लिया राहुल गांधी इस बार शैलजा को मौका दे अपनी जातीय राजनीति को आगे बढ़ा सकते है। शैलजा का विरोध हुड्डा गुट के अलावा कोई और नहीं करेगा। शैलजा गुट में सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह और कई पुराने नेता शामिल है। आलाकमान के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि गुटों को कैसे साधा जाए। सभी नेता गांधी परिवार के करीबी हैं।

हुड्डा कांग्रेस के उन नेताओं में आते हैं को संकट के समय गांधी परिवार के काम आते हैं।शैलजा और सुरजेवाला भी सोनिया और राहुल दोनों के भरोसे मंद हैं।इन स्थिति में दोनों गुटों में अपने अपने समर्थकों को अधिक से अधिक संख्या में टिकट दिलवाने की रहने वाली है। आलाकमान ने इसी हिसाब से माकन को जिम्मेदारी दे उनके साथ सांसद मणिकम टैगोर, जिग्नेश मेवानि और बी वी श्रीनिवास को सदस्य बनाया है।

ये सभी नेता राहुल की टीम के माने जाते हैं। समझा जा रहा है कि टिकटों को लेकर किसी प्रकार की बाकी इस कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल नेता सदस्य होते हैं। लेकिन पार्टी अब प्रदेश के दूसरे प्रमुख नेताओं को भी बैठक में शामिल करती है। प्रदेश की तरफ से जिलों से नाम मांगे गए हैं। इन नामों को प्रदेश चुनाव समिति कांट छांट करेगी। पार्टी की तरफ से जल्दी प्रदेश चुनाव समिति घोषित की जाएगी। प्रदेश से फिर नाम छानबीन समिति के पास भेजे जाएंगे।

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