- सच्चे मन से समर्पित करके ही परमात्मा का कृपा बनना संभव : भाई बचित्तर सिंह
- प्रचारकों ने दशमेश पिता द्वारा किला श्री आनंदपुर त्यागना, परिवार से बिछड़ना व साहिबजादों की शहीदी प्रसंग सुनाए
- हरियाणा कमेटी के महासचिव, मैंबर व भारी तादाद में संगत हुई समागम में शामिल
Aaj Samaj (आज समाज),Gurudwara Shri Guru Ramdas Model Town, पानीपत : हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के प्रचारक भाई बचित्तर सिंह ने कहा कि अकाल पुरुख (परमात्मा) को सच्चे मन से मानना होगा, केवल पूजा करके उनकी कृपा का पात्र नहीं बना जा सकता। मन से उन्हें स्वयं को समर्पित करना ही उनकी सच्ची पूजा है। वे गुरुद्वारा श्री गुरु रामदास जी माडल टाउन पानीपत में सफर-ए-शहादत कार्यक्रम श्रृंखला के तहत हरियाणा कमेटी द्वारा करवाए गए समागम में संगत का मार्गदर्शन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा का पात्र बनने के लिए सच्चे मन से उन्हें मानना पड़ता है। उन्होंने संगत से आह्वान किया कि हमें गुरबाणी अनुसार ही जीवन यापन करना चाहिए।
गुरु साहिब ने अपने हाथों से तैयार करके साहिबजादों को जंग के मैदान में भेजा था
इससे पहले प्रचारक भाई सिमरनजीत सिंह ने दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा श्री आनंदपुर साहिब का किला छोड़ने का प्रसंग संगत को सुनाया। इसके उपरांत उन्होंने गुरु साहिब द्वारा सरसा नदी पर परिवार से बिछड़ने का प्रसंग भी सुनाया। तत्पश्चात कथावाचक भाई गुरजोत सिंह नलवी वालों ने परिवार से अलग होने का प्रसंग सुनाते हुए सिख इतिहास से संगत को जोड़ा। उन्होंने गुरु साहिब द्वारा धर्म, कौम व देश के लिए अपना परिवार न्यौछावर करने का इतिहास सुना अपने श्रद्धा सुमन गुरु साहिब के प्रति अर्पित किए। कथावाचक भाई प्रदीप सिंह ने चमकौर की गढ़ी में साहिबजादों की शहीदी का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने अपने हाथों से तैयार करके साहिबजादों को जंग के मैदान में भेजा था।
महाराज के जीवन प्रसंग पर आधारित रचनाओं से संगत को भावविभोर किया
कार्यक्रम में रागी भाई जगजीत सिंह बंबीहा दिल्ली वाले ने शबद कीर्तन किया, जबकि प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह तारी श्री अमृतसर वालों ने अपनी रचनाओं से संगत को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने बदलां चौं बिजली चमके सी मार दी… कविता पेश कर संगत की आंखों को नम कर दिया। अपनी कविताओं के माध्यम से कवि अवतार सिंह तारी ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज व उनके परिवार को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। समागम में पहुंचे पंथ के प्रसिद्ध ढाडी भाई गुरप्रीत सिंह लांडरा ने भी सरबंसदानी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के जीवन प्रसंग पर आधारित रचनाओं से संगत को भावविभोर किया।
संयुक्त सचिव मोहनजीत सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया
समागम में हरियाणा कमेटी के संयुक्त सचिव मोहनजीत सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम में सिख इतिहास श्रवण आई संगत का भी आभार जताया। इस दौरान हरियाणा कमेटी की कार्यकारिणी समिति के मैंबर विनर सिंह, गुरबख्श सिंह यमुनानगर, मैंबर मलकीत सिंह गौराया, चीफ सेक्रेटरी जसविंदर सिंह दीनपुर, धर्म प्रचार सचिव भरपूर सिंह, एडिशनल सेक्रेटरी राजपाल सिंह दुनिया माजरा, उप सचिव सतपाल सिंह, अमरिंदर सिंह, निजी सहायक रूपिंदर सिंह, गुरुद्वारा श्री गुरु रामदास प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी, करनाल के सांसद संजय भाटिया के पुत्र चांद भाटिया, शहर की समूह सभा सोसायटियों के पदाधिकारी, 147 मंदिरों के प्रधान कृष्ण रेवड़ी, सहायक सुपरवाइजर गुरपेज सिंह, प्रभजोत सिंह सहित हरियाणा कमेटी का स्टाफ मौजूद रहा।
अपने बच्चों को सुनाएं साहिबजादों की बहादुरी व कुर्बानी के प्रसंग : महासचिव
हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के महासचिव रमणीक सिंह मान ने कहा कि सरबंसदानी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों ने शहादत के जाम पी लिए, लेकिन सिखी नहीं छोड़ी। साहिबजादों ने धर्म व सिखी के लिए जीवन का बलिदान कर दिया। उन्होंने संगत से आह्वान किया कि वे हम सब को अपने बच्चों को साहिब-ए-कमाल श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की बहादुरी व कुर्बानी का प्रसंग सुनाना चाहिए, ताकि बचपन में ही उनमें अपने धर्म, सिखी व कौम के लिए प्रेम भावना पैदा हो सके।
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