Haryana New Chief Minister, डॉ विनय कुमार मल्होत्रा, आज समाज: शेक्सपियर का एक प्रसिद्ध कथन: कुछ लोग महान होते हैं, कुछ महानता प्राप्त करते हैं और कुछ पर महानता थोपी जाती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की राजनीतिक कहानी भी कुछ ऐसी है। सैनी पर महानता थोपने में पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का बहुत बड़ा योगदान है। एक अन्य कहावत है; वफादारी रंग लाती है (लॉयल्टी पेज आफ)। सैनी युवावस्था से ही भाजपा तथा मनोहर लाल खट्टर के वफादार रहे।
जब भी खट्टर जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या पार्टी के कार्यों के लिए कुरुक्षेत्र या अंबाला आते थे तो सैनी ही कार ड्राइव करके इधर से उधर पार्टी कार्यों के लिए उन्हें लेकर जाते थे। इस प्रकार वह खट्टर जी के नजदीकी एवं वफादार बने। भाग्य बहुत बलवान होता है, यह कहावत भी सैनी पर खड़ी उतरती है। कई लोग राजनीति में सारी उम्र एड़ियां रगड़ते रह जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई विशेष सफलता या सरकारी पद नहीं मिलता।
लेकिन नायब सैनी इस मामले में भाग्यशाली रहे क्योंकि केवल 10 साल पहले विधायक बनने के पश्चात उन्हें मुख्यमंत्री का पद भी सुगमता से मिल गया। इतना ही नहीं इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कड़ा मुकाबला होने के बावजूद भाजपा तीसरी बार सत्ता में आ गई और उनका दोबारा अगले पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनना निश्चित हो गया यह भी एक भाग्य की बात है।
नायब जी का जन्म 25 जनवरी 1970 में अंबाला के पास मिजार्पुर माजरा के एक छोटे से गांव में एक हरियाणवी माली अर्थात ओ. बी. सी. परिवार में हुआ था। उन्होंने बी.आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर से बीए की डिग्री तथा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की।
क्योंकि सैनी भाग्य के धनी थे इसलिए उनका राजनीतिक कैरियर धीमी गति का होने की बजाय छलांग लगाते हुए आगे बढ़ा। नौजवान नायब सैनी ने भाजपा के अंबाला पार्टी कार्यालय में कंप्यूटर आॅपरेटर के रूप में काम करना शुरू किया था फिर हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के महासचिव बने। वे भाजपा के अंबाला युवा विंग के सक्रिय सदस्य भी रहे और उन्हें मनोहर लाल खट्टर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने आगे लाकर राजनीतिक पहचान दिलाई।
उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन सन 2009 में शुरू हुआ जब उन्होंने नारायणगढ़ हलके से पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन वह जीत नहीं पाए। 2014 में उन्होंने दोबारा नारायणगढ़ से विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गए। 2015 से 19 तक वे मनोहर लाल खट्टर के प्रथम कार्यकाल में राज्य मंत्री के पद पर रहे। 2019 से 24 तक वे कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित संसद सदस्य (एम.पी.) भी रहे।
अक्टूबर 2023 से जुलाई 2024 तक वे हरियाणा भाजपा के राज्य अध्यक्ष भी रहे। सन् 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जब खट्टर ने इस्तीफा दे दिया तो खट्टर जी की सिफारिश पर ही उन्हें 12 मार्च 2024 को हरियाणा के 11 मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अक्टूबर 2024 में उन्हें लाडवा विधानसभा हलके से जीत हासिल हुई और इस प्रकार उनका अगले 5 साल के पूरे कार्यकाल के लिए मुख्य मंत्री बनना तय हो गया क्योंकि चुनाव से पहले ही पार्टी हाई कमान ने उन्हें मतदाताओं के आगे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया था।
वैसे तो 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कई कारण तथा तत्व थे लेकिन उनमें से एक महत्वपूर्ण कारक नायब सिंह सैनी भी था। उन्हें ही चुनाव में अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया गया था। एक तो सैनी की साफ सुथरी छवि थी, वे मधुर भाषी हैं, उन्हें विवादित टिप्पणी या वक्तव्य देने की आदत नहीं है, ना ही वे कभी व्यर्थ के विवादों में उलझे हैं, न ही उन्होंने अपने सात महीने के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में कोई घोटाला, गलत कार्य या जनता को नाराज करने वाला कार्य किया। इसीलिए उनके नेतृत्व में लड़े गये विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरुद्ध कुछ क्षेत्रों में सत्ता-विरोधी लहर के बावजूद उसकी जीत हो गई।
एक तरफ जहां सैनी के व्यक्तित्व, स्वभाव तथा छवि ने जीत दिलाने में मदद की तो दूसरी तरफ उनके 7 महीने के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुए विकासात्मक तथा अच्छे कार्यों ने भी वोटरों का दिल जीत लिया। ये कार्य निम्नलिखित थे:- (१) पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर पर अफसरशाही हावी थी अफसर आमजन की परवाह नहीं करते थे।
नए मुख्यमंत्री सैनी ने आते ही सभी अफसरों को निर्देश जारी किया कि वे सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक हर रोज अपने दफ्तर में लोगों की शिकायत सुनने के लिए उपलब्ध होंगे। इस निर्णय से सभी लोग खुश हुए और उनका अधिकारियों से मिलना आसान हो गया। (२) उन्होंने जुलाई 2024 में गांव में विकासात्मक कार्यों को लागू करने के लिए ग्राम पंचायत की व्यय सीमा बढ़ाकर ?5 लाख से 21 लाख कर दी जिससे पंचायत को बिना ई-टेंडर जारी किए पर्याप्त धन मिल गया।
(३) बिजली उपभोक्ताओं पर लगाए जाने वाले न्यूनतम शुल्क को खत्म कर दिया, अब बिल पूरी तरह से खपत की गई बिजली की इकाइयों पर आधारित होगा। (४) सैनी ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना’ के अंतर्गत एक राज्य सब्सिडी योजना भी शुरू की। इस योजना के तहत 180000 से कम वार्षिक आय वाले गरीब परिवारों के लिए छत पर सौर संयंत्र के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के अनुदान से स्थापित करने की योजना बनाई।
एक घर पर संयंत्र लगाने में 1,10,000 खर्चा आएगा जो केंद्र व राज्य सरकारें वहन करेंगी। (५) अग्नि वीरों को पक्की सरकारी नौकरियों में खपाने का आश्वासन दिया गया। (६) अधिकांश फसलों पर न्यूनतम मूल्य देना शुरू किया। (७) जुलाई में ही ‘मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना’ शुरू की गई जिसके अंतर्गत शहरी व ग्रामीण दोनों प्रकार के गरीब लोगों के लिए 30 गज के प्लाट पर घर बनाने के लिए अनुदान की व्यवस्था की।
अक्टूबर 2024 के चुनाव से पहले सैनी तथा भाजपा के घोषणा पत्र द्वारा किए गए वायदों को पूरा करना अब पद ग्रहण के बाद एक बड़ी चुनौती रहेगी। यही उनके एक सफल मुख्यमंत्री होने का मापदंड भी रहेगा। सैनी ने अगस्त में आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाने का वायदा किया था जो उन्होंने शपथ ग्रहण करने से पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में 14 अक्टूबर को पूरा कर दिया। आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का मानदेय 750 और सहायिकाओं का 400 बढ़ा दिया।
इसी प्रकार विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों तथा स्वायत संस्थानों में हार्टरोन के माध्यम से लगे आई टी प्रोफेशनल्स के मानदेय में भी 1750 से लेकर? 2150 तक की बढ़ोतरी कर दी गई है। कहने से अभिप्राय है कि वायदों को पूरा करने का सिलसिला शुरू हो गया है जो की एक अच्छा संकेत है। लेकिन अगले 5 वर्षों में बहुत से अन्य वादों को पूरा करने की चुनौतियां भी रहेंगी जैसे की:- लक्ष्मी योजना जिसके अंतर्गत महिलाओं को 2100 हर महीने देना, 2 लाख पक्की नौकरियां देना, अग्नि वीरों को पक्की नौकरी दिलाना, 5 लाख लोगों को आवास देना जैसे वादों को पूरा करना।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेज जाने वाली प्रत्येक छात्रा को स्कूटर देना, 10 औद्योगिक शहरों को बनाना और प्रति शहर में 50,000 स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाना, चिरायु आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपए तक के मुफ़्त इलाज की व्यवस्था करना, 24 फसलों की घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करना, हर घर ग्रहणी योजना के तहत 500 में गैस सिलेंडर देना, नौकरशाही को संवेदनशील तथा उत्तरदायी बनाए रखना तथा सभी सामाजिक मासिक पेंशनों में वृद्धि करने जैसे वादों को पूरा करना। भाजपा को बहुमत से केवल दो सीटें ही अधिक मिली हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के अन्य दावेदार भविष्य में असंतुष्टों की संख्या बढ़ाकर, बहुमत को डगमगाने की कोशिश ना करें, यह भी एक बड़ी चुनौती रहेगी।
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