Aaj Samaj (आज समाज), Haryana Central University (HKV), Mahendragarh : नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के पंडित दीनदयाल उपाध्याय केंद्रीय पुस्तकालय और शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा दो दिवसीय दुर्लभ स्कूली पुस्तकों की दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बैंगलोर के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में तीन सौ से अधिक दुर्लभ स्कूली पुस्तकें प्रदर्शित की गईं। ये पुस्तके भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की औपनिवेशिक तथा उसके बाद के काल की थीं।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बैंगलोर के सहयोग से हुआ आयोजन
पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने किया। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्रदर्शनी हमें याद दिलाती है कि शिक्षा एक गतिशील और निरंतर विकसित होने वाली शक्ति है। अतीत ने हमारे शैक्षिक परिदृश्य को कैसे आकार दिया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने निर्णयों और नीतियों से अवगत कराने के लिए हम इससे क्या सबक सीख सकते हैं। उन्होंने प्रो. वरदराजन नारायणन के नेतृत्व में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की पुरालेख टीम के प्रयासों की सराहना की।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की ओर से उपस्थित प्रो. वरदराजन नारायणन और श्री सिद्दू ने हकेवि कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार और संकाय सदस्यों का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। प्रदर्शनी में पाठ्य-पुस्तकों से संबंधित प्रासंगिक विषयों पर चर्चा का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्कूल ऑफ एजुकेशन की अधिष्ठाता प्रो. सारिका शर्मा ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रो. शर्मा ने पाठ्यपुस्तक लेखन और पढ़ने के बारे में अपने विचार व अनुभव साझा किए। हकेवि के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. संतोष सी.एच. ने वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत करते हुए पाठ्यपुस्तक लेखन एवं शोध के संदर्भ में दुर्लभ पाठ्य पुस्तकों की प्रासंगिकता के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. नंदकिशोर ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली के घटकों को शामिल करने के तरीकों पर अपने विचार रखे।
आयोजन में सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह और श्री नरेश कुमार ने कई विद्यार्थियों को स्कूली पुस्तक संग्रह की उपयोगिता और उनके प्रभावी उपयोग के बारे में प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन सूचना वैज्ञानिक डॉ. विनीता मलिक ने किया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. दिनेश चहल, प्रो. गौरव सिंह और विभिन्न विभागों के अन्य संकाय सदस्यों सहित आयोजन में दो सौ से अधिक विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों ने सक्रिय प्रतिभागिता की। कार्यक्रम के अंत में उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. राजीव वशिष्ठ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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