Aaj Samaj (आज समाज), Haryana Central University ,नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के पंडित मदन मोहन मालवीय टीचर्स ट्रेनिंग केंद्र द्वारा 18 से 28 दिसंबर तक आयोजित ‘कौशल विकास और भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषयक तीसरे संकाय संवर्धन कार्यक्रम का समापन हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संदेश में संकाय संवर्धन कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजको को बधाई दी।
कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे। समापन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रोफेसर सुषमा यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव ने अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रशिक्षित करने समर्थ होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा के भीतर अनेक विषयों और अनुशासनों के उदाहरण के माध्यम से भारतीय ज्ञान मीमांसा के विविध पहलुओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल स्रोत लोकविद्या से आबद्ध है। लोकविद्या में अनेक कौशल विद्यमान हैं। हम शिक्षकों का दायित्व है कि अपनी इस विद्या और कौशल को क्रमबद्धता और अवधारणात्मक रूप में विकसित करें। प्रो. यादव ने इस कार्यक्रम में भागीदारी हेतु सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में पूरे देश के सौ से अधिक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों ने भागीदारी की। प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम के संबंध में अपने विचारों से अवगत कराया। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के उद्देश्य और इसके संचालन हेतु हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस संकाय संवर्धन कार्यक्रम में बीएचयू, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, उत्तराखंड, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, आईआईआईटी, भोपाल, अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि के ख्यातिलब्ध विद्वानों ने अपने विचारों से कार्यक्रम को सफल बनाया।
इस कार्यक्रम में केंद्र के संयोजक प्रो. सुरेंद्र सिंह ने स्वागत वक्तव्य दिया।पंडित मदन मोहन मालवीय टीचर्स ट्रेनिंग केंद्र के निदेशक प्रोफ़ेसर प्रमोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस संकाय संवर्धन कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नितिन, डॉ. सिद्धार्थ राय, डॉ. युधवीर और डॉ. अलेख एस. नायक ने किया।
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