Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की सिफारिश के बाद राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विधानसभा को भंग कर दिया है। विधानसभा सचिवालय की ओर से इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी गई। अब सीएम नायब सिंह सैनी अगली सरकार के गठन होने तक कार्यवाहक सीएम के तौर पर काम करेंगे। वे कोई नीतिगत फैसले नहीं ले पाएंगे। मगर आपातकालीन स्थिति आने पर वह फैसले लेने के लिए अधिकृत होंगे। सैनी सरकार का कार्यकाल तीन नवंबर तक था। मगर नई सरकार का गठन आठ अक्तूबर के बाद होना है। इस लिहाज से करीब एक महीने पहले विधानसभा भंग की गई है। समय से पहले विधानसभा भंग करने के लिए सैनी सरकार ही जिम्मेदार है। दरअसल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाए जाने की वजह से सैनी सरकार संवैधानिक संकट में फंस गई थी। भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के मुताबिक दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। नायब सिंह सैनी की सरकार ने 13 मार्च को आखिरी बार विधानसभा का सत्र बुलाया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सत्र बुलाया जाना जरूरी था, मगर सरकार सत्र बुलाने में असफल रही। ऐसे में सरकार के पास विधानसभा भंग करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। यदि सरकार विधानसभा भी भंग नहीं करवा पाती तो सैनी सरकार की वैधता पर सवाल उठने लगते। सरकार को आलोचना भी झेलनी पड़ती और सरकार को बर्खास्त करने की मांग की जा सकती थी।
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