Harmful effects of drinking coffee: क्या आप भी ज्यादा मात्रा में लेते हैं कॉफ़ी तो हो सकती है ये समस्या

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Harmful effects of drinking coffee

Harmful effects of drinking coffee : कभी थकान दूर करने के लिए, तो कभी नींद से बचने के लिए कॉफी या चाय का एक मग ही काफी है। एनर्जी ड्रिंक के रूप में प्रचलित कॉफी युवाओं की पहली पसंद है, फिर चाहे वो कोल्ड हो या हॉट। वहीं बहुत से लोग दिन में एक के बाद एक न जाने कितने कप चाय के पी लेते हैं। मगर ज्यादा मात्रा में कैफीन इनटेक स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का भी कारण बनने लगती है। ऊर्जा के स्त्रोत को सीमित करने के शरीर को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सकता है।

1. एंग्जाइटी का जोखिम

अधिकतर लोग आलस्य और नींद को दूर करने के लिए कैफीन का नियमित सेवन करते हैं। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार कैफीन का सेवन करने से ब्रेन में केमिकल्स स्टीम्यूलेट होने लगते है। ऐसे में कैफीन (caffeine) की हाई डोज़ जिटरनेस और एंग्ज़ाइटी (anxiety) को बढ़ा देती है। इससे न्यूरोटॉक्सीसिटी का खतरा बना रहता है। शरीर को कॉफी पीने से नुकसान (side effects of coffee) झेलना पड़ता है।

2. हृदय गति को बढ़ाए

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैफीन (caffeine) का सेवन करने से नॉरएड्रेनालाईन और नॉरपेनेफ्रिन का रिलीज बढ़ने लगता है। इससे हृदय गति और ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ने लगता है। हृदय रोगों के खतरे से बचने के लिए कैफीन को मॉडरेट ढ़ंग से पीएं और रोज़ाना सेवन करने से बचें। इसके अलावा कैफीन रिच एनर्जी ड्रिंक (energy drink) न पीएं।

3. पाचन संबधी समस्याओं को बढ़ाए

कैफीन (caffeine) एसिडिटी को ट्रिगर करता है। कैफीन इनटेक से एसोफेजियल स्फिंक्टर रिलैक्स हो जाता है, जो एसिडिटी का कारण बन जाता है। इससे पेट में एसिड तेज़ी से रिलीज़ होने लगता है, जिससे ये एसोफेगस में वापिस लौटने लगता है। रोज़ाना कैफीनयुक्त फूड और बैवरेजिज का सेवन करने से गैस्ट्रिक सिक्रीशन (gastric secretion) रिलीज़ होने लगता है। इससे अपच, ब्लोटिंग, पेट दर्द और कब्ज का सामना करना पड़ता है।

4. मोटापा बढ़ाना

नियमित कैफीन (caffeine) के सेवन से प्रोसेस्ड फूड (processed food) के लिए क्रेविंग्स बढ़ने लगती हैं। इसके अलावा कॉफी और चाय में दूध, चीनी मिलाकर पीने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ स्टोर होने लगती हैं। लगातार इस प्रकार से सेवन करने से मोटोपे का सामना करना पड़ता है और ओवरइटिंग से भी दो चार होना पड़ता है।

5. नींद न आ पाना

कैफीन (caffeine) से ब्रेन एलर्ट होने लगता है, जिसका प्रभाव नींद की गुणवत्ता पर दिखने लगता है। इससे इंसोमनिया का खतरा बना रहता है और नींद नहीं आ पाती है। कैफीन मस्तिष्क में नींद को बढ़ावा देने वाले रिसेप्टर्स को अवरुद्ध करने का काम करती है जिसे एडेनोसाइन रिसेप्टर्स भी कहा जाता है।

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