- दो साल पहले मनस्वी और हार्दिक ने सैक्टर 32 की झुगियों में प्रोजेक्ट साक्षर शुरू किया था
- सोशल मीडिया पर दिखाये अभियान के असर से आज जुडे दस हजार से अधिक बच्चे
स्ट्रीट चाइल्ड को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं हार्दिक के साथी
Aaj Samaj (आज समाज), Hardik and Manasvi, प्रवीण वालिया, करनाल, 21 जुलाई :
कहा जाता है कि जिद के आगे जीत होती हैं। इतनी और इस हद तक जिद करो ओर तब तक रो जब तक कि आपको मकसद नहीं मिल जाए। इस मंत्र पर चलते हुए लिबर्टी परिवार के विरासतदार हार्दिक गुप्ता और मनस्वी ने अपने साथियों के साथ यह सब कर दिखाया।
करनाल के हार्दिक गुप्ता और उसके साथी बच्चों ने मिलकर गरीब बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया और उनका जनून इस हद तक बड़ गया कि इसको लेकर एक विश्व रिकॉर्ड बना दिया। विश्व प्रसिद्ध उद्योगिक घराने लिबर्टी के संस्थापक डीपी गुप्ता,की विरासत को आगे बढ़ा रहे प्रबंध निदेशक हरीश गुप्ता के पोते और कनिष्क गुप्ता के पुत्र हार्दिक गुप्ता ने मनस्वी तथा अपने साथियों के साथ मिल कर झुग्गी झौंपड़ी में स्ट्रीट चाइल्ड बच्चों को पढ़ाने का दायित्व लिया।
पिछले दिनों बच्चों द्वारा विश्व के लंबे वेबिनार का रिकॉर्ड क़ायम किया है जिसे वल्र्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड लंदन द्वारा सैद्धांतिक मान्यता प्रदान कर दी गई है और जल्दी ही इसका सर्टिफिक़ेट भी जारी किया जाएगा। हार्दिक गुप्ता द्वारा विगत वर्ष शुरू किए गए प्रोजेक्ट साक्षर के अन्तरगत 15 जुलाई को सुबह 9 बजे वेबिनार की शुरुआत की गई जो बिना रुके 24 घंटे और 15 मिनट तक चला और 16 जुलाई को सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर इसे समाप्त किया गया। बच्चों द्वारा विश्व के इस सबसे लंबे वेबिनार में 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 18 वर्ष से कम आयु के 300 से अधिक बाल वक्ता शामिल हुए और उन्होंने वंचित बच्चों को कैसे शिक्षित किया जाए विषय पर अपने विचार रखे।
इस अभियान में मनस्वी हस्तीर, मान्या भाटिया, अर्शनूर कौर, दिव्यांशी गोयल, सहर सुखीजा, लुभानी खट्टर, वर्चस्वी ठाकुर, सव्या वशिष्ठ, अर्णव तलुजा, कृष्णा बत्रा, युविका भाई, लावण्या त्रिखा, दुर्विश सचदेवा, रणवीर ग़ुहार, तन्मय गुप्ता व तन्मय वधवा शामिल रहे प्रोजेक्ट साक्षर के संस्थापक व साक्षरता को लेकर बनाये गये इस विश्व रिकॉर्ड के संयोजक हार्दिक गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 2021 में अपने सहपाठी मनस्वी हस्तीर के साथ मिलकर प्रोजेक्ट साक्षर की शुरुआत की थी और अब तक इस प्रोजेक्ट के सोशल मीडिया पेज के साथ साथ उन्होंने पूरे देश में लगभग 10000 बच्चों को जोड़ा है।
प्रोजेक्ट साक्षर का उद्देश्य सुविधाओं से वंचित विशेषत: झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करना व उन्हें पुस्तकें, स्टेशनरी, ड्रेस आदि प्रदान करना है। देहरादून में स्थित देश के प्रतिष्ठित दून स्कूल के 12वी कक्षा के विद्यार्थी हार्दिक का कहना है कि हालाँकि भारत की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत से बढक़र 84 प्रतिशत तक पहुँच गई है फिर भी एक राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार लगभग 3 करोड़ बच्चों ने कभी स्कूल में शिक्षा प्राप्त नहीं की और इसमें बड़ी संख्या आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों की है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब तक लगभग 1000 बच्चों तक पहुँच की जा चुकी है व 100 विद्यार्थी वालंटियर के रूप में वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए हार्दिक गुप्ता के साथ काम कर रहे हैं। इसके तहत बच्चों को पुस्तकों व स्टेशनरी की किट, स्कूल ड्रेस, शूज़ आदि निशुल्क बाँटे गए हैं।
इस परियोजना के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचने के लिए वंचित बच्चों को शिक्षा देने के लिए कार्य कर रही अन्य सामाजिक संस्थाओं से भी समझौते किए गए हैं। हार्दिक गुप्ता को सामाजिक कार्यों से जोडऩे वाली उसकी माँ श्वेता गुप्ता ने बताया कि कोविड के दौरान भी हार्दिक गुप्ता ने गरीब बच्चों को मैथ व इंगलिश पढ़ाने का कार्य किया और सामाजिक कार्यों के लिए अपने निजी प्रयत्नों से धन जुटाने का कार्य भी किया। वंचित बच्चों को शिक्षा के लिए आयोजित किए गए इस विश्व रिकॉर्ड के प्रयास में सहयोगी संस्था नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम ऑफ़ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस (निफा) के संस्थापक प्रीतपाल सिंह पन्नु ने कहा कि यह बेहद सुखद एहसास है कि किशोर उम्र के युवा भी अब भारत को साक्षरता दर को 100 प्रतिशत तक ले जाने के लिए इस प्रकार के प्रयास कर रहे हैं।
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