संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय को समाप्त करने और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए 14 दिसंबर, 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के रूप में मनाकर हम बुजुर्गों को उनका सही स्थान दिलाने की कोशिश करेंगे। बुजुर्गों का सम्मान करने और सेवा करने की भारत की समृद्ध परंपरा रही है। बुजुर्गों की वास्तविक समस्याएं क्या है और उनका निराकरण कैसे किया जाए इस पर गहनता से मंथन की जरूरत है। आज घर घर में बुजुर्ग है। ये इज्जत से जीना चाहते है। मगर यह कैसे संभव है यह विचारने की जरूरत है। हैल्पएज इंडिया का कहना है कि, दुर्भाग्य से बुजुर्ग जिन पर सबसे ज्यादा भरोसा करते है वहीं उन्हें सबसे ज्यादा पीड़ा देते हैं। बुजुर्गों के साथ उत्पीड़न की शुरुआत उनके अपने घर से होती है। सर्वेक्षण में बताया कि, पहले की सर्वे में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले में सबसे आगे बहुएं होती थीं लेकिन अब उल्टा हो रहा है। बुजुर्गों के अपने बेटे उनके साथ उत्पीड़न करने के मामले में आगे आ गए हैं। रिसर्च एंड एडवोकेसी सेंटर आॅफ एजवेल फाउंडेशन के एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि हमारी युवा पीढ़ी न केवल वरिष्ठजनों के प्रति लापरवाह है, बल्कि उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक भी नहीं है। वह पड़ोस के बुजुर्गों के सम्मान में तो तत्पर दिखती है लेकिन अपने घर के बुजुर्गों की उपेक्षा करती है, उन्हें नजरअंदाज करती है। विश्व में बुजुर्गों की संख्या लगभग 60 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रत्येक 5 में से एक बुजुर्ग अकेले या अपनी पत्नी के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है।
बुजुर्गों की देखभाल के लिए वर्ष 2007 में मेंटीनेंस एंड वेलफेयर आॅफ पेरेंट्स एवं सीनियर सिटीजन कानून का निर्माण हुआ था। इस कानून के अनुसार वृद्ध माता-पिता को यह अधिकार है कि वे अपने भरण-पोषण के लिए अपनी संतान से गुजारा भत्ता हासिल कर सकते हैं। गुजारा खर्चा नहीं देने वाली संतानों पर जुर्माना एवं कारावास की सजा का प्रावधान है। बुजुर्गों को हालांकि इस कानून की कोई जानकारी नहीं है। यदि कुछ लोगों को जानकारी है तो सामाजिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए वे कोई कार्रवाई नहीं करते। सामाजिक मूल्यों के अवमूल्यन के कारण बुजुर्गों का मान-सम्मान घटा है और वे एक अंधेरी कोठरी का शिकार होकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यदि बुजुर्ग माता-पिता बीमार हो गए हैं तो अस्पताल ले जाने वाला कोई नहीं है। अनेक बुजुर्गों को एक पुत्र से दूसरे पुत्र के पास ठोकरे खाते देखा जाता है। अनेक को घरों से निकालने के समाचार मीडिया में सुर्खियों में प्रकाशित हो रहे हैं आज भी ऐसे अनेक बुजुर्ग मिल जाएंगे जो अपनी संतान और परिवार की उपेक्षा व प्रताड़ना के शिकार हैं। बुजुर्गों की देखभाल और उनके सम्मान की बहाली के लिए समाज में चेतना जगाने की जरूरत है। सद्व्यवहार से हम इनका दिल जीत सकते हैं।
बाल मुकुन्द ओझा
Chandigarh News: बाल विकास परियोजना अधिकारी डेराबस्सी ने पहली लोहड़ी के अवसर पर नवजात लड़कियों…
Chandigarh News: नगर परिषद की सेनेटरी विभाग की टीम द्वारा शुक्रवार को लोहगढ़ व बलटाना…
Chandigarh News: शहर में जगह-जगह लोगों द्वारा अवैध कब्जे किए हुएदेखे जा सकते हैं। जगह-जगह…
Chandigarh News: भबात क्षेत्र में पड़ती मन्नत इंकलेव 2 में लोगों की मांग पर नगर…
Chandigarh News: विधायक कुलजीत सिंह रंधावा ने वार्ड नंबर 17 विश्रांति एक्सटेंशन गाजीपुर रोड के…
Chandigarh News: उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय…