इशिका ठाकुर,कुरुक्षेत्र :
शिल्पकारों की हस्तशिल्प कला बयां कर रही है जीवित होने की गाथा। शिल्पकारों की शिल्प कला से सजा ब्रह्मसरोवर का पावन तट, रंग-बिरंगी शिल्पकला ने बदला महोत्सव की फिजा का रंग।
अद्भुत हाथों की कारीगरी
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जहां विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है, वहीं दूसरी ओर इस महोत्सव में दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार अपनी कला का अदभुत प्रदर्शन कर रहे है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए शिल्पकारों की ऐसी हस्त शिल्पकला जोकि अपने आप में जीवित होने की गाथा को बयां कर रही है। ऐसी अद्भुत हाथों की कारीगरी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और पर्यटक जमकर इसकी खरीदारी कर रहे है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 6 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की हस्त शिल्पकला से ब्रह्मसरोवर के पावन तट सज चुका है और इस रंग बिरंगी हस्तशिल्प कला ने महोत्सव की फिजा का रंग बदलने का काम किया है। जहां एक ओर दूसरे राज्यों से आए कलाकार अपने प्रदेशों की संस्कृति को हर्षोल्लास से दिखाकार पर्यटकों के मन को मोह रहे है वहीं दूसरी और हाथों की ऐसी अदभुत शिल्प कला महोत्सव में रंग भरने का काम कर रही है।
हस्तशिल्प कला से नए-नए व सुंदर से सुंदर प्रतिमाएं
पलवल से आए देवीराम ने बताया कि वे इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष आते है। इस बार भी वे अपने साथ टेराकोटा मिट्टी से बनी हुई अद्भुत और दिल को मोहने वाली फ्लावर पोर्ट, सुराही, प्रतिमाएं के साथ-साथ घर की सज्जा सजावट का अन्य सामान साथ लेकर आ है। वे इस सामान को टेराकोटा मिट्टी से बनाते है तथा यह मिट्टी मेवात व नूंह से मंगवाई जाती है तथा इस मिट्टी को पहले छाना जाती है उसके बाद उसे चॉक पर घुमा कर अपनी अद्भुत हस्तशिल्प कला से नए-नए व सुंदर से सुंदर ऐसी प्रतिमाएं बनाते है जोकि अपने आप में जीवित होने की गाथा खुद बे खुद बयां करती है। उन्होंने बताया कि टेराकोटा से बनने वाली इन प्रतिमाओं को चॉक पर बनाने के बाद इनको पकाया जाता है, उसके बाद इसकी फिनिशिंग का कार्य किया जाता है और उसके बाद उसमें रंग बिरंगे रंगों से सजाकर अद्भुत स्वरूप दिया जाता है। इस बार वह 50 रुपए से 1500 रुपए तक की कीमत वाला टेराकोटा का सामान अपने साथ लेकर आए और पर्यटक इनकी जमकर खरीदारी कर रहे है।
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