हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर पूर्व विधायक व भाजपा नेता राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुक्खू सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इसे प्रदेश के आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम करार दिया। राणा ने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने राज्य को कर्ज में डुबो दिया है और कोषागार (ट्रेजरी) बंद रखकर करोड़ों की देनदारियां रोक दी हैं। इससे प्रदेश में आर्थिक इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
राजेंद्र राणा ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा कि केंद्र से आए फंड्स को सुक्खू सरकार वेतन देने में खर्च कर रही है, जबकि जिन ठेकेदारों से काम करवाया गया था, उनकी देनदारियां अदा नहीं की जा रहीं। इस वजह से ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि ठेकेदारों ने बैंकों से ऋण लेकर काम किया था, लेकिन भुगतान न मिलने के कारण अब वे सरकारी काम हाथ में लेने से इंकार करने लगे हैं।
सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर सवाल
राणा ने मुख्यमंत्री सुक्खू पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास न तो राजनीतिक और न ही वित्तीय प्रबंधन का कोई स्पष्ट विजन है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने प्रदेश का खजाना अपने चहेतों पर लुटा दिया है। इस स्थिति से कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी असहाय महसूस कर रहे हैं, क्योंकि सरकार की नीतियों के चलते उनके राजनीतिक भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश में काम करवाने वाले ठेकेदारों के करोड़ों रुपए अटके हुए हैं। कई ठेकेदारों ने अब सरकारी काम से हाथ खींचना शुरू कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार के इसी आर्थिक कुप्रबंधन और अनदेखी के कारण वह अपने ही विजन से गिर जाएगी।
राणा ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
राजा ने कहा कि प्रदेश सरकार आर्थिक संकट को संभालने में पूरी तरह असफल रही है। जहां एक ओर जनता और ठेकेदारों को उनके हक का भुगतान नहीं मिल रहा, वहीं दूसरी ओर सरकार के फैसलों ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है। राणा ने मांग की कि सरकार ठेकेदारों और अन्य देनदारियों को जल्द से जल्द निपटाए और प्रदेश की आर्थिक स्थिति को स्थिर करने के लिए ठोस कदम उठाए।