Gurugram News : काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं से बनाया माहौल

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Poets created an atmosphere in the poetry symposium with their works.
गुरुग्राम के मालिबू टाउन में विचार एवं काव्य गोष्ठी में शामिल कविगण।

(Gurugram News) गुरुग्राम। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई की ओर से विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मालिबू टाउन में हुई इस गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं से बेहतरीन माहौल बना दिया।

तेरी यादों का वो सुलगता शहर बाकी है, अब तो आ जाना सनम आधा पहर बाकी है

शकुंतला सरूप्रिया ने सुनाया-तेरी यादों का वो सुलगता शहर बाकी है, अब तो आ जाना सनम आधा पहर बाकी है। त्रिलोक कौशिक ने सुनाया-बस्ती में है उसका घर, एक उजरवा बोल रहा है।  अमरनाथ अमर ने सुनाया-जब स्थितियां प्रतिकूल हों, जब सूरज आग बरसाने लगे, तब तुम मुझे अपनी बाहों का सहारा देना। सुशीला यादव ने सुनाया-छम-छम बरस गए आज बदरा। राजेश्वर वशिष्ठ ने सुनाया-जीवन चाहे श्रीराम के लिए हो या हमारे लिए, प्रतिपल अच्छे बुरे शकुनों से घिरा ही रहता है। अनंत सप्रे ने गजल के माध्यम से तंज किया नशेमन को जला डाला, जो था सब कुछ लुटा डाला गरीबी में हिमाकत की, नया कुर्ता सिला डाला, वीणा अग्रवाल ने शहीदों को नमन करते हुए कहा-जो वतन को जगा कर स्वयं सो गए, जो चमन में अमन का शजर वो गए, आंख नम है मेरी याद करके उन्हें, देश के नौजवानों कहां खो गए…। कवयित्री मीनाक्षी पांडेय ने कटाक्ष करती हुई अपनी गजल में सुनाया-कोई सपना सच होगा मैं कैसे यह विश्वास करूं, सपनों को खण्डित करने में जब सपने भी शामिल हों।

शकुंतला मित्तल ने सुनाया-काठ की डोली चढ़ बैठूंगी, मोह की दुनिया लगती खारी

सविता स्याल ने जिंदगी के फलसफे पर अपनी कविता पढ़ी। उन्होंने सुनाया-मैनें जिंदगी से पूछा, सफर तुम्हारा इतना जटिल और रहस्यमय आखिर क्यों है, फूलों संग पिरो दिये इतने कांटे क्यों है मुस्कुराहटों संग आंसू बांटे क्यों है?, हरींद्र यादव ने सुनाया-रिमझिम-रिमझिम पड़ें फुहार, महीना सावन का आया, ठंडी-ठंडी चले बयार, महीना सावन का आया। लोकेश चौधरी क्रांति ने सुनाया-फौजी भारत माता के जलते शरारे हैं। घर में घुसकर दुश्मन को मारने वाले दहकतें अंगारे हैं। शकुंतला मित्तल ने सुनाया-काठ की डोली चढ़ बैठूंगी, मोह की दुनिया लगती खारी। सुरिंदर मनचंदा ने सुनाया-बहारे चमन में आया हूं, कुछ खुशबू फैला कर जाऊंगा। उजड़े घर बसा कर जाऊंगा, सभी रिश्ते निभा के जाऊंगा। राजपाल यादव ने सुनाया-अभी हम भी जवां हैं तो हंसी तुम भी नहीं कम हो, सुनो अब ह्यराजह्ण की, जीवन मुहब्बत से बिता लो तुम। मंजू यादव ने दोस्ती पर रचना पढ़ी। बरखा यादव ने अपना परिचय देते हुए पंक्तियाँ पढ़ीं। अनिल श्रीवास्तव ने चर्चित रचना बडकी भौजी पढ़ी।