(Gurugram News) गुरुग्राम। दीपावली के 5 दिवसीय पर्वों की श्रृंखला में रविवार को भाई दूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया। यम द्वितीया के नाम से भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्घा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद भाईदूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई बहन के अगाढ़ प्रेम को समर्पित है।
भाई दूज पर बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लम्बी उम्र की कामना की। भाईयों ने अपने सामर्थ्यनुसार उपहार भी भेंट किए। सुबह से ही बहनों का अपने भाईयों के घर पहुंचना शुरू हो गया था। शहर में पूरे दिन लोगों का आवागमन चलता रहा। कोई बहन अपने भाई के घर रेलगाड़ी से पहुंची तो कोई बसों से, मेट्रो में भी अच्छी खासी भीड़ दिखाई दी। त्योहारों को लेकर पंडित मनोज शर्मा का कहना है कि पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ।
यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि वह उसके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना स्नान कर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन कराया।
इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करें तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराए उसे आपका भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमपुरी चले गए। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में दान कर पूरी श्रद्घा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
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