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- समाज की महिलाओं को बराबरी से आगे बढ़ाएं: अशोक गोरे
- समाज उत्थान न्यास गुरुग्राम द्वारा किलकारी चैरिटेबल सोसाइटी में मनाई गई प्रथम शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले की जयंती
(Gurugram News) गुरुग्राम। नारी मुक्ति आंदोलन की अगवा एवं देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की यहां झाड़सा गांव में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में 46वें मिसेज यूनिवर्स स्पर्धा में मिसेज यूनिवर्स क्रिएटिविटी का खिताब जीतने वाली शिप्रा सिंह ने शिरकत की। कार्यक्रम में किलकारी चैरिटेबल सोसाइटी के चेयरमैन अशोक गोरे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। माता सावित्री बाई फुले जयंती पर शिक्षिकाओं को सम्मानित भी किया गया।
समाज उत्थान न्यास गुरुग्राम संस्था के संरक्षक सूबे सिंह, चेयरमैन बुद्धराम सैनी, महावीर, कृष्ण सैनी, गौतम, केशव, मयंक, रवि सैनी और रमन, समेत समाज के अनेक लोगों ने सावित्री बाई फुलेे को नमन किया। मिसेज यूनिवर्स क्रिएटिविटी अवार्ड विजेता शिप्रा सिंह ने कहा कि संस्था की ओर से शिक्षिकाओं का सम्मान किया जाना बहुत ही सराहनीय कार्य है। एक महिला अपने जीवन में कई भूमिका निभाती है। शिक्षिका के रूप में वह राष्ट्र का निर्माण भी करती है। इसलिए यह भागीदारी अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि माता सावित्री बाई फुले का जीवन अभावों और कठिनाईयों के बीच कटा। उनके प्रयासों से आज महिलाएं शिक्षा ग्रहण करके खुद को साबित कर पा रही हैं।
आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हमें महिलाओं की शक्ति बनकर काम करना है
किलकारी चैरिटेबल सोसाइटी के चेयरमैन अशोक गोरे ने कहा कि हर समाज का यह कर्तव्य बनता है कि वे समाज की महिलाओं को बराबरी से आगे बढ़ाएं। किसी तरह का भेदभाव ना करें। बेटियों को अच्छी शिक्षा देने के साथ परिवार में आने वाली बहुओं को भी उसी तरह से शिक्षित करके समाज की मुख्यधारा में लेकर आएं। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। हमें महिलाओं की शक्ति बनकर काम करना है।
बुधराम सैनी ने कहा कि भारतीय नारी की शिक्षा एवं चेतना को एक दिशा देने एवं जागरुकता पैदा करने में पहला और बुनियादी काम महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले जी का ही था। संस्था के संस्थापक महासचिव हितेश सैनी ने कहा कि संस्था का यही उद्देश्य है कि हर तरह से समाज को जागरुक करने के साथ-साथ समाज के हित में काम किया जाए। गगनदीप सैनी ने माता सावित्री बाई फुले का स्त्री हक, नारी शिक्षा एवं मानवतावाद के लिए विषय एवं विपरीत परिस्थितियों में दिया गया योगदान आने वाली पीढिय़ां सदा याद रखेंगी। हर महिला उनके इस योगदान को अपने जहन में संभाले। उन्होंने मांग की कि सरकार सावित्री बाई फुले के जन्मदिवस तीन जनवरी को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करे।