- प्रदूषण शरीर के हर अंग को करता है प्रभावित
- बुजुर्ग महिला की किडनी ट्रांसप्लांट केस को सांझा करते हुए कही यह बात
- मात्र 15 प्रतिशत किडनी बची थी, महिला का जीवन खतरे में था
- भारत में उपचार कराना विदेशियों की भी पहली पसंद बन रहा है
(Gurugram News) गुरुग्राम। पर्यावरण प्रदूषण का मुद्दा बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है। इसे किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रदूषण से बचाव के लिए हर उम्र के व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की वजह से व्यक्ति की औसतन उम्र 9 साल कम हो रही है। एक स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है। यह कहना है पार्क अस्पताल पालम विहार के सीईओ डा. सतीश चंद्र मिश्रा ने का।
किडनी फेलियर मरीज का मानसिक रूप से मजबूत होकर उपचार कराना चाहिए
वे मंगलवार को अस्पताल परिसर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। डा. मिश्रा के मुताबिक पर्यावरण के विषय पर हम सबको ना केवल सोचना है, बल्कि इसके समाधान में भी हमारी भागीदारी होनी चाहिए। यहां उन्होंने एक बुजुर्ग महिला मरीज की किडनी प्रत्यारोपण को लेकर अहम जानकारियां सांझा की। उन्होंने कहा कि 64 वर्षीय मरीज कृष्णा देवी को किडनी फेलियर के अंतिम स्टेज पर अस्पताल में लाया गया था। वह लगातार डायलिसिस ले रहीं थी। टाइप-2 डायबिटीज की वजह से उनकी किडनी फेल हो चुकी थी। परिवार की सहमति से कृष्णा देवी को उनके बेटे द्वारा डोनेट की गई किडनी प्रत्यारोपित की गई। डा. मिश्रा के मुताबिक एक किडनी पर व्यक्ति स्वस्थ तरीके से पूरा जीवन जी सकता है। किडनी फेलियर मरीज का मानसिक रूप से मजबूत होकर उपचार कराना चाहिए।
यहां विदेशियों का भी उपचार किया जाता है। विदेशियों में इस बात की पूरा विश्वास है कि भारत में उन्हें बेहतर उपचार मिलेगा। इसलिए काफी संख्या में विदेशी यहां उपचार कराने आते हैं। डा. मिश्रा ने कहा कि हमें अपना लाइफस्टाइल सही रखना चाहिए। खान-पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। खराब पर्यावरण में अपनी सेहत के प्रति सभी को सजग रहना चाहिए, ताकि हम बीमारियों से बच सकें।
टीम ने अपनी-अपनी नॉलेज को सांझा करके उनकी किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी की। उनमें खून कम था
बुजुर्ग मरीज कृष्णा देवी की सफल किडनी प्रत्यारोपण करने वाली टीम में शामिल रहे यूरोलॉजिस्ट डा. सुजीत कुमार, यूरोलॉजिस्ट डा. उदय, यूरोलॉजिस्ट डा. वसीम शेख व नेफ्रोलॉजिस्ट डा. नेहा के मुताबिक ने कहा कि मरीज कृष्णा देवी का हार्ट काफी कमजोर हो चुका था। उनका सांस फूल जाता था और तुरंत डायलिसिस पर जाना पड़ता था। उनकी सर्जरी बहुत बड़ी चुनौती थी। मरीज की जान जा सकती थी। टीम ने अपनी-अपनी नॉलेज को सांझा करके उनकी किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी की। उनमें खून कम था। वजन मात्र 35 किलो था।
सभी की मेहनत से किडनी प्रत्यारोपण के बाद अब महिला कृष्णा देवी पूरी तरह से ठीक हैं। उनका वजह भी बढ़ रहा है। डॉक्टर्स ने अहम जानकारी देते हुए कहा कि किडनी फेल होने का प्रमुख कारण हाई बीपी, शुगर है। ऐसी स्थिति में कोई बड़े संकेत कभी नहीं मिलते। किडनी फेल होने के अंतिम चरण में इसका पता चलता है। उन्होंने कहा कि मृत व्यक्ति की भी किडनी डोनेट की जा सकती है। बशर्ते व्यक्ति का ब्रेन डेड हुआ हो और हार्ट चल रहा हो।
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